उत्तरप्रदेशराज्य

संजीव जीवा के अतीक अहमद से भी थे संबंध, माफिया के गुर्गों को देता था विदेशी असलहे

लखनऊ

लखनऊ शूटआउट में मारे गए कुख्यात गैंगस्टर संजीव जीवा के माफिया अतीक अहमद से भी संबंध बताए जाते हैं। बताया जाता है कि संजीव जीवा अतीक के गुर्गों को विदेशी असलहे उपलब्ध कराता था। यही नहीं बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में इस्तेमाल किए गए एके-47 को भी संजीव जीवा ने अतीक गैंग को दिया था।

शूटर संजीव जीवा का प्रयागराज से भी पुराना रिश्ता रहा है। सनसनीखेज वारदात के बाद उसे प्रयागराज में शरण मिली थी। करीब दो महीने तक वह यहीं छात्रों के बीच छिपा रहा। उसके पकड़े जाने के बाद यह खुलासा हुआ था। बसपा शासन में संजीव जीवा को पश्चिम यूपी की जेल से नैनी सेंट्रल जेल ट्रांसफर किया गया था। 2008-09 तक उसे नैनी जेल में रखा गया था लेकिन जेल में उसकी गतिविधियों और मोबाइल के इस्तेमाल के बाद उसका नैनी जेल से ट्रांसफर कर दिया गया था। उस पर हर वक्त प्रयागराज एसटीएफ की नजर बनी थी।

पुलिस सूत्रों की मानें तो 2005 में कृष्णानंद राय की हत्या के बाद शूटर संजीव जीवा प्रयागराज में छिपा था। वारदात को अंजाम देकर वह प्रयागराज पहुंचा था और यहीं दारागंज मोहल्ले में उसे शरण मिली। वह छात्रों के बीच करीब दो महीने तक छिपा रहा। छात्रों के साथ रहा और किसी को पता नहीं चला कि उनके बीच रहने वाला एक खूंखार अपराधी है। कृष्णानंद राय की हत्या के बाद जब जीवा पकड़ा गया तो उसने खुद ही बयान दिया था कि दारागंज में शरण ली थी। हालांकि उस वक्त पुलिस ने शरणदाता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। उस वक्त प्रयागराज में तैनात रहे एसटीएफ सूत्रों की मानें तो यमुनापार में रहने वाले एक सफेदपोश माफिया भी संजीव जीवा को अपने गेस्ट हाउस में शरण देता था। हालांकि स्थानीय पुलिस की कार्रवाई से पहले ही वह भाग निकला था। प्रयागराज में जीवा कभी पकड़ा नहीं गया।

जीवा हथियारों का था बेहद शौकीन

जीवा हथियारों का बेहद शौकीन था। इसी वजह से वह मुख्तार का बेहद करीबी बना था। बाद में वह उसका शूटर भी बना। कृष्णानंद राय हत्याकाण्ड में लाइट मशीन गन का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले जीवा ही तैयार हुआ था। जीवा और कुख्यात अपराधी फिरदौस (मुठभेड़ में ढेर) ने ही कृष्णानंद राय पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इस दौरान जीवा ने एके 47 रायफल से भी फायर किया था। कृष्णानंद राय पर जिस तरह से गोलियां बरसाई गई थी, वैसी दूसरी घटना फिर कभी नहीं हुई। फर्रुखाबाद में भाजपा नेता ब्रहमदत्त द्विवेदी को जर्मनी मेड पिस्टल से छलनी कर दिया था। जीवा के बारे में कहा जाता था कि वह हर समय अपने पास तीन पिस्टल रखता था। ये सभी पिस्टल विदेशी थी। मुख्तार ने जब भी अपने किसी विरोधी की हत्या करानी चाही तो उसमें शूटर जीवा को जरूर भेजा। जीवा ने अन्य हत्याओं में भी नाइन एमएम, 7.62 बोर के असलहे का इस्तेमाल किया।

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