रायपुर
रॉयल सोसाइटी टीचर डेवलपर्स भारत भर के स्कूलों में विज्ञान शिक्षकों के लिए कार्यशालाएं आयोजित कर रहे हैं. जिससे उन्हें माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्तर पर छात्रों के लिए विज्ञान को अधिक रोचक और आकर्षक बनाने की तकनीकें दी जा रही है। प्रशिक्षण कार्यशालाएँ नि:शुल्क प्रदान की जा रही है और इनमें सस्ते और आसानी से उपलब्ध होने वाले योजनाएँ शामिल है। इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के सहयोग से माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के कौशल विकास और ज्ञान को बढ़ाने के साथ-साथ स्कूली विद्यार्थियों को अपने भविष्य में विज्ञान लेने हेतु प्रेरित करने के लिए 22 से 25 अगस्त 2023 तक छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेंटर, रायपुर में शिक्षकों हेतु प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित कर रही है।
कार्यशाला में प्रस्तुतियों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए शिक्षण संसाधनों को पाठ्यक्रम के साथ एकीकृत करने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण भी शामिल होगा, जिसका उपयोग वे कक्षा में पारंपरिक चौक-एंड-टॉक पद्धति के विकल्प के रूप में कर सकते हैं।
प्रारंभ में डॉ. श्रीमती जे.के. राय, वैज्ञानिक ई. छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री कार्यशाला के आयोजन की रूपरेखा एवं उद्देश्य से अवगत किया। उद्घाटन भाषण में श्री एस.एस. बजाज, महानिदेशक, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद एवं रीजनल साइंस सेंटर रायपुर ने कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी और छात्रों को प्रेरित करने के लिए दिलचस्प तरीके से विज्ञान पढ़ाने के लिए शिक्षकों को अपने कौशल को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री एस.एस. बजाज ने शिक्षकों को कार्यशाला के दौरान रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री द्वारा प्रदान की गई तकनीकों को उचित तरीके से सीखने की सलाह दी. जिनका उपयोग कक्षा में अधिक प्रभावी शिक्षण के लिए किया जा सकता है, ताकि विद्यार्थी भविष्य में विज्ञान विषय का चयन कर सके।
इसके बाद रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री बेंगलोर की टीचर डेवलपर जया स्वामीनाथन ने रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के यूसुफ हामिद प्रेरणादायक विज्ञान व्यावसायिक विकास पाठ्यक्रम और इसे भारत में कैसे लागू किया गया है. इस पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेन्टर के वैज्ञानिक एवं अधिकारी तथा रायपुर जिले के विज्ञान शिक्षक शामिल हुए। कार्यशाला के अंत में डॉ. श्रीमती जे.के. राय, वैज्ञानिक ई ने धन्यवाद ज्ञापित किया।