विक्रम लैंडर से बाहर निकला रोवर, चंद्रमा पर कर रहा चहलकदमी
नई दिल्ली
चंद्रयान-3 की कल सफल लैंडिंग के साथ इसरो ने इतिहास रच दिया। आज विक्रम लैंडर से प्रज्ञन रोवर भी बाहर निकल आया है। इसरो ने इसकी जानकारी दी है। इसरो ने अपने ट्वीट में लिखा, "चंद्रयान-3 का रोवर लैंडर से नीचे उतर गया। भारत ने चंद्रमा पर सैर की।" राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 'विक्रम' लैंडर से रोवर 'प्रज्ञान' के सफलता पूर्वक बाहर आने के लिए इसरो की टीम को बधाई दी है।
आपको यह भी बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर 'विक्रम' ने चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए अपेक्षाकृत एक समतल क्षेत्र को चुना है। उसके कैमरे से ली गयी तस्वीरों से यह पता चला है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसकी पुष्टि की है। इसरो ने कहा कि विक्रम के सफलतापूर्वक चंद्रमा पर पहुंचने के तुरंत बाद 'लैंडिंग इमेजर कैमरा' ने ये तस्वीरें कैद कीं। तस्वीरें चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का एक हिस्सा दिखाती हैं। उसने कहा, ''लैंडर का एक पैर और उसके साथ की परछाई भी दिखायी दी।''
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, ''चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर अपेक्षाकृत एक समतल क्षेत्र को चुना।'' उसने यह भी बताया कि लैंडर और इसरो के यहां मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स) के बीच संचार भी स्थापित हुआ है। इसरो ने चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर उतरते वक्त ली गयी तस्वीरें भी जारी की हैं।
14 दिनों तक क्या करेगा रोवर?
चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब रोवर मॉड्यूल इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए 14 दिवसीय कार्य शुरू करेगा। उसके विभिन्न कार्यों में चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहां प्रयोग करना भी शामिल है। 'विक्रम' लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर अपना काम पूरा करने के बाद अब रोवर 'प्रज्ञान' के चंद्रमा की सतह पर कई प्रयोग करने के लिए लैंडर मॉड्यूल से बाहर निकल चुका है।
इसरो के अनुसार, लैंडर और रोवर में पांच वैज्ञानिक उपक्रम (पेलोड) हैं जिन्हें लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा गया है। इसरो ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए रोवर की तैनाती चंद्र अभियानों में नयी ऊंचाइयां हासिल करेगी। लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक चंद्र दिवस है जो पृथ्वी के 14 दिन के समान है।