रायपुर
मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन ने मंत्रालय महानदी भवन में राज्य शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं और कार्यक्रमों की समीक्षा के क्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के कार्यों की गहन समीक्षा की। बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू भी मौजूद थे। मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा है कि राज्य के दूरस्थ अंचलों विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना के तहत लगने वाले हाट बाजारों में स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण, निशुल्क दवाएं और मरीजों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करें। दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को हाट बाजारों में लगने वाले कैम्पों की जानकारी अनिवार्य रूप से दी जाए।
मुख्य सचिव ने मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत घर-घर जाकर सर्वे दल द्वारा आर.डी. टेस्ट करने और लक्षित ग्रामों में सभी व्यक्तियों की रक्त जांच कर मलेरिया पॉजिटिव मरीजों को स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा अपने सामने दवा की प्रथम खुराक खिलाने के निर्देश दिए। उन्होंने जेनेरिक दवाओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सा अधिकारियों से कहा है।
मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को गरियाबंद जिले के सुपेबेडा (देवभोग) में लोगों की लगातार स्वास्थ्य परीक्षण की जांच करने एवं वहां पर होने वाली बीमारी के उपचार के लिए विशेष प्रयास करने मुख्य सचिव ने चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में छात्रों को अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने और लोगों को अधिक से अधिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न दूरस्थ इलाकों में अब तक एक लाख 46 हजार मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिकों के माध्यम से 83 लाख 64 हजार 88 मरीजों का इलाज किया गया और 34 लाख 71 हजार 328 मरीजों की पैथालॉजी जांच की गई और 77 लाख 7 हजार 519 मरीजों को निशुल्क दवाएं उपलब्ध करायी गई। हाट बाजार क्लिनिक के माध्यम से गर्भवती माताओं की जांच, संक्रामक तथा असंक्रामक बीमारियों की जांच, नेत्र रोग की जांच, एचआईवी जांच, परिवार नियोजन सलाह सहित अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं, दूरस्थ क्षेत्र के निवासियों को उपलब्ध करायी जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बस्तर संभाग में वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2022 में मलेरिया प्रकरणों में 51 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2018 में मलेरिया परजीवी सूचकांक 16.49 था जो वर्ष 2022 में घटकर 7.40 हो गया है। इसी तरह से वर्ष-2018 में छत्तीसगढ़ में वार्षिक परजीवी सूचकांक 2.63 था जो वर्ष-2022 में घटकर 0.94 है। बैठक में प्रदेश के सभी नवीन एवं निमार्णाधीन एवं प्रस्तावित चिकित्सा महाविद्यालयों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की गई। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को नवीन चिकित्सा महाविद्यालयों के भवनों को अच्छी गुणवत्ता पूर्ण बनाने के निर्देश दिए है। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री प्रसन्ना आर., संचालक स्वास्थ्य श्री भीम सिंह और स्वास्थ्य विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।