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RES का बोझ होगा काम, 25 लाख रुपए तक के काम पंचायतों को देने का प्लान

भोपाल

प्रदेश में पंचायतों को 25 लाख रुपए तक के काम देने के बाद अब आरईएस (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा) विभाग से कराए जाने वाले 25 लाख रुपए तक के काम भी देने की तैयारी है। ऐसा हुआ तो आरईएस फंड के 25 लाख रुपए तक के काम पंचायतें बगैर टेंडर करा सकेंगी। इसके लिए सांसदों और विधायकों द्वारा दिए गए प्रस्ताव के बाद राज्य सरकार ने इसको लेकर नोटशीट दौड़ाई है और यह पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के विकास आयुक्त कार्यालय, पंचायत राज संचालनालय और आरईएस अफसरों के बीच अंतिम निर्णय के लिए मूव कराई जा रही है। चुनावी साल में पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए सरकार लगातार ऐसे फैसले ले रही है जिससे पंचायतों के विकास में तेजी आ सके।

इसी तारतम्य में दिसम्बर 2022 में सरपंचों को 25 लाख रुपए तक के काम कराने के अधिकार दिए गए थे। इसके बाद अब पंचायत क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए पंचायत को ही एजेंसी बनाने के लिए फिर सांसदों और विधायकों ने प्रस्ताव दिया है। इसमें कहा गया है कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) द्वारा 25 लाख रुपए तक के जो काम टेंडर के माध्यम से कराए जाते हैं। ऐसे काम कराने के अधिकार पंचायतों को दिया जाए। यानी आरईएस के फंड का 25 लाख रुपए तक का काम पंचायतें करा सकें।

इस तरह के प्रस्ताव आने के बाद अब पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने इस पर सभी संबंधित विभागों की अनुशंसा मांगी है। चूंकि इसमें आरईएस के फंड का उपयोग होना है। इसलिए आरईएस की अनुशंसा के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाना है। अफसरों के मुताबिक इस मामले में मई माह में ही अंतिम निर्णय हो सकता है। साथ ही जनपद व जिला पंचायत अध्यक्षों, उपाध्यक्षों व सदस्यों के मानदेय में वृद्धि को लेकर भी सरकार के पास प्रस्ताव विचाराधीन है।

इसी माह हुआ है यह बड़ा फैसला
पंचायत प्रतिनिधियों के पॉवर बढ़ाने के मामले में मई माह में ही विभाग ने एक अन्य बड़ा फैसला किया है। कलेक्टरों और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत से कहा गया है कि जिला और जनपद पंचायतों द्वारा अपने क्षेत्र में कराए जाने वाले कामों को उनकी वास्तविक लागत के अनुसार कार्य योजना में शामिल किया जा सकेगा और इसे स्वीकृति दी जा सकेगी।

इसके पहले विभाग द्वारा 15वें वित्त आयोग से किए जाने वाले कामों की लिमिट फरवरी 2021 में जारी निर्देश के मुताबिक अधिकतम 15 लाख तक तय की गई थी। इसमें कहा गया था कि जिला पंचायतें 15 लाख तक के बड़े काम ही मंजूर करेंगी जबकि जनपद पंचायतों के लिए दस लाख तक की लिमिट तय की गई थी। इसमें पंचायतों में आंगनबाड़ी केंद्र, पंचायत भवन, अतिरिक्त कक्ष, ई कक्ष, सामुदायिक स्वच्छता परिसर, प्राथमिक शाला भवन, स्वास्थ्य केंद्र भवन, हाट बाजार, दुकान निर्माण, बस स्टैंड और जिला पंचायत व जनपद पंचायत परिसर में कराए जाने वाले काम ही मंजूर करने की छूट दी गई थी। इसके अलावा 15वें वित्त आयोग की 15 प्रतिशत राशि पेयजल के लिए जल जीवन मिशन अंतर्गत खर्च करने के लिए कहा गया था।

सांसद, विधायक निधि के काम होते हैं प्रभावित
आरईएस के फंड की राशि से विकास कार्य कराने के लिए सांसदों और विधायकों ने इसलिए भी पंचायतों को 25 लाख रुपए तक के लिए निर्माण एजेंसी बनाने की मांग रखी है क्योंकि ये जनप्रतिनिधि चाहते हैं कि उनके द्वारा विधायक और सांसद निधि से मंजूर की जाने वाली राशि से जल्द काम कराए जाएं। आरईएस को निर्माण एजेंसी बनाए जाने पर विभाग द्वारा कराई जाने वाली टेंडर प्रक्रिया और फाइलों में मूवमेंट के काम पूरे होने में देरी होती है।

कई बार 2 से 5 साल बाद तक काम लटके रहते हैं और ऐसे में राशि स्वीकृत करने के बाद भी जनप्रतिनिधियों को स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है। पंचायतों को निर्माण एजेंसी बनाए जाने पर संबंधित पंचायत सीधे इसके लिए तय गाइडलाइन के आधार पर ठेकेदारों का चयन कर सकेंगी।

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