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महिलाओं के प्रजनन दर में कमी,विशेषज्ञ ने कहा चिंता का विषय,परिवार कल्याण विभाग ने मानी उपलब्धि

जम्मू
जीवनशैली में बदलाव और तनाव के कारण जम्मू-कश्मीर की महिलाओं में प्रजनन दर लगातार कम हो रहा है। यह राज्य देश के उन चुनिंदा प्रदेशों और केंद्र शासित में शामिल है, जहां पर प्रजनन डेढ़ से भी कम है। हालांकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जनसंख्या पर रोक को एक सफलता मान रहा है, लेकिन इससे विशेषज्ञ चिंतित भी हैं।

विशेषज्ञ के मुताबिक प्रजनन दर कम होना चिंता का विषय है वहीं परिवार कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में महिलाओं में प्रजनन दर मात्र 1.4 है। अर्थात एक महिला औसतन दो बच्चों को भी जन्म नहीं देतीं। यह दर लगातार कम हो रही है। शहरी क्षेत्रों में तो यह दर मात्र 1.2 है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 1.5। वर्ष 1991 में प्रजनन दर 3.6 और वर्ष 2007 में 2.7 थी।

परिवार कल्याण विभाग इसे एक उपलब्धि करार देता है और इसके पीछे जनसंख्या नियंत्रण रेखा के लिए चलाए गए अभियानों को श्रेय देता है। वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञों का कहना है कि प्रजनन दर कम होने के पीछे कई कारण हैं। जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य भागों की तरह ही तनाव बढ़ा है। लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है। जम्मू में महिलाओं की प्रजनन संबंधी समस्याओं पर काम कर रही गायनाकोलाजिस्ट डा. मनीषा भगत का कहना है कि कुछ वर्ष में महिलाओं और पुरुषों दोनों की जीवनशैली में बहुत बदलाव आया है।

युवा पीढ़ी सुबह और शाम को सैर तक नहीं करती। खाने में जंक फूड की भरमार है। कामकाजी महिलाओं पर दोहरा तनाव है। घरेलू महिलाओं का जीवन भी तनाव में है। इसका असर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। वहीं पुरुषों के स्पर्म रेट भी पहले की अपेक्षा कम हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसका संज्ञान लिया है। उनका कहना है कि जीवनशैली सबसे अधिक प्रभावित कर रही है।

जम्मू और कश्मीर दोनों ही जगहों पर ऐसी बहुत ही महिलाएं आती हैं जिनके घरों में बच्चे नहीं हो रहे हैं। कई तो अधिक उम्र में शादी के कारण भी हो रहा है। यहां यह बताना जरूरी है कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कश्मीर में टेलीमानस हेल्पलाइन शुरू की है, उसमें इस तरह की समस्याओं को लेकर काल करने वालों में 60-65 प्रतिशत महिलाएं हैं। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि प्रजनन दर बहुत कम होना चिंताजनक है। एक बार यह कम हो जाए तो बढ़ाना आसान नहीं होता।

क्या कहते हैं मनोरोग चिकित्सक
जम्मू के मनोरोग अस्पताल में विशेषज्ञ डा.अभिषेक चौहान का मानना है कि प्रदेश में तनाव तो कई जगहों से अधिक है। विशेषकर महिलाएं इससे अधिक प्रभावित हैं। तनाव से पुरुषों का स्पर्म काउंट भी कम होता है। महिलाओं की प्रजनन शक्ति भी कम होती है। जम्मू-कश्मीर में प्रजनन दर कम होने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है। वहीं मनेरोग विशेषज्ञ डा. जगदीश थापा का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में प्रजनन दर कम होने के पीछे कई कारण है।

तनाव, युवा पीढ़ी का नशे में शामिल होना, आतंकवाद के कारण पलायन, देरी से शादी करना और विवाह से पहले युवाओं में रिश्ते होना आदि शामिल हैं। विवाह से पहले रिश्तों के बाद जब उनकी शादी देरी से होती है तो उन्हें यौन संबंधों में रुचि नहीं रहती। इस कारण भी समस्याएं आ रही हैं। इसी प्रकार नशे की लत भी आने वाले दिनों इस समस्या पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डालेगा। सरकार को समय रहते ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

Pradesh 24 News
       
   

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