रायपुर
रामलला के मंदिर अयोध्या (उ.प्र.) में श्री रामलला तीर्थ ट्रस्ट ने 15 से 24 जनवरी 2024 के बीच किसी दिन ट्रस्ट ने शिरकत करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को न्यौता भेजा है परन्तु आश्चर्य का विषय है कि उक्त आयोजन में शिरकत हेतु देश के सर्वोच्च पद पर आसीन महिला राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को न्यौता न भेजना आदिवासी राष्ट्रपति को तिरस्कृत करने के समान है।
मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने न्यौता द्रोपदी मुर्मू को न देने का ट्रस्ट ने कोई कारण नहीं बताया है। इससे देश के आदिवासी समाज में गलत संदेश गया है। इससे यह वर्ग अपने आपको अपमानित समझ रहा है, साथ ही देश की महिला जगत द्वारा भी ट्रस्ट की इस हरकत पर ऐतराज जताया जा रहा है। देश के आदिवासी एवं महिला जगत ट्रस्ट की इस उपेक्षा का कारण जानना चाहती है।
रिजवी ने ऐसी ही हरकत जब राम मंदिर स्थापना हेतु आयोजित भमि पूजा के कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द को भी नहीं बुलाया गया था जो अनुसूचित जाति के कोरी समाज के हैं। उस समय अनुसूचित जाति ने पूरे देश में इस तिरस्कार को बर्दाश्त नहीं किया था जिसकी सेकुलर देश की जनता ने इस अक्षम्य अपराध को देश के लिए कलंकित करने वाला निरूपित किया था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से निवेदन है कि पुराने इतिहास को न दोहराते हुए ट्रस्ट से आदिवासी समाज की राष्ट्रपति मुर्मू जी को भी आमंत्रित करने का न्यौता भिजवाए जिससे देश के धर्म निरपेक्ष संविधान का पालन होगा और आदिवासी एवं महिला वर्ग में उपेक्षा के जख्म पर मलहम का काम करेगा। पूर्व सीजेआई एवं राज्य सभा सांसद रंजन गोगोई को जिनके फैसले से ही राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है उन्हें भी इस आयोजन में न्यौता देना न्याय संगत होगा।