राजनीति

आदिवासी-OBC मोर्चा को राहुल-प्रियंका ने संभाला, मल्लिकार्जुन खरगे करेंंगे दलित वर्ग पर फोकस

भोपाल

मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का फोकस आदिवासी-ओबीसी और दलितों पर है। आदिवासी-ओबीसी मोर्चा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा संभालेंगे। जबकि, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दलित वर्ग पर फोकस करेंगे। इसे ध्यान में रखते हुए ही इन नेताओं के कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं।

 

राहुल गांधी पहले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) बहुल कालापीपल विधानसभा क्षेत्र के पोलायकला और फिर आदिवासी बहुल शहडोल जिले के ब्यौहारी पहुंचे। जबकि, प्रियंका गांधी वाड्रा आदिवासी बहुल जिले धार के मोहनखेड़ा और मंडला के रामनगर पहुंची। उन्होंने बड़ा दांव खेलते हुए संविधान की अनुसूची छह को उन क्षेत्रों में लागू करने का एलान किया, जहां 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या आदिवासियों की है।

प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए 47 विधानसभा सीट सुरक्षित हैं और लगभग तीस सीटों पर आदिवासी मतदाता प्रभावी भूमिका मेें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 30 सीटें जीती थी और इस चुनाव में प्रदर्शन को दोहराने के लिए प्रयासरत है। मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 21.1 प्रतिशत है।

इस आधार पर विधानसभा सीटें तो सुरक्षित की गईं पर कई अन्य सीटों पर आदिवासी वर्ग निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसे देखते हुए भाजपा और कांग्रेस अपने कार्यक्रम और रीति-नीति से इन्हें साधने का प्रयास करते हैं। पिछले चुनाव में भाजपा को अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित सीटों पर झटका लगा था।

इससे सबक लेकर शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) पेसा का नियम लागू किया। इसमें आदिवासियों को अधिकार देने की बात कही गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं चौपालें लगाकर इसे प्रचारित किया। वहीं, कांग्रेस ने स्वाभिमान यात्रा निकालने से लेकर कई कार्यक्रम चलाए। हालांकि, आदिवासियों के बीच में काम करने वाले जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) सहित अन्य संगठन इनसे संतुष्ट नहीं थे।

दरअसल, इनकी लंबे समय से मांग छठवीं अनुसूची के अनुसार अधिकार देने की रही है। इसमें स्थानीय इकाइयों का यह अधिकार मिल जाता है कि वे जल, जंगल, जमीन से लेकर अन्य मामलों में स्वयं निर्णय कर सकते हैं। नियम बनाने का अधिकार भी स्थानीय संस्थाओं को मिल जाता है।

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जहां 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या आदिवासियों की होगी, वहां उन्हें छठवीं अनुसूची में शामिल करने का वादा किया है। साथ ही तेंदूपत्ता संग्राहकों को चार हजार रुपये प्रति मानक बोरा देने, बैकलाग के पद प्राथमिकता के आधार पर भरने, पुराने प्रकरण वापस लेने सहित कई घोषणाएं कीं।

दरअसल, यह पार्टी की कार्ययोजना का ही हिस्सा है। आदिवासी और ओबीसी मोर्चे की कमान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा संभालेंगे। यही कारण है कि आदिवासी वर्ग को साधने के लिए पार्टी की ओर से पहली घोषणा राहुल गांधी ने शहडोल के ब्यौहारी में तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रति मानक बोरा पारिश्रमिक एक हजार रुपये बढ़ाने की घोषणा की। तेंदूपत्ता संग्राहक 43 लाख से अधिक हैं।

सूत्रों के अनुसार प्रियंका गांधी वाड्रा का अगला दौरा खरगोन और फिर छिंदवाड़ा या बैतूल जिले में हो सकता है। ये तीनों जिले भी आदिवासी बहुल जिले हैं। खरगे का ग्वालियर-चंबल में होगा कार्यक्रम- उधर, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का कार्यक्रम अब ग्वालियर-चंबल अंचल में होगा।

इसके पहले वे सागर आए थे और यहां संत रविदास के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना करने की घोषणा की थी। ग्वालियर-चंबल अंचल में अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता कई सीटों पर प्रभावी भूमिका में हैं। यहां की अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सात में से छह सीटें कांग्रेस ने जीती थीं।

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button