वर्दी हुई दागदार : UP से अफीम लाने में तस्कर की मदद करने वाला निकला पुलिस कांस्टेबल
लुधियाना
एक तरफ पुलिस नशा तस्करों की चेन तोड़ने में लगी हुई है मगर दूसरी तरफ पुलिस के अंदर ही घूम रही कुछ काली भेड़ें इन नशा तस्करों की मददगार बनी हुई हैं। ऐसे ही एक मामले का खुलासा हुआ है जिसमें अफीम के साथ पकड़े गए नशा तस्कर की कॉल डिटेल से पता चला है कि लुधियाना पुलिस का ही एक कांस्टेबल उसकी तस्करी में मदद करता था।
खुद की गाड़ी पर उसे यू.पी. लेकर जाता था और वहां से अफीम की बड़ी खेप लेकर आता था। वह पंजाब पुलिस के नाम का पूरा फायदा उठाता था। रास्ते में नाकाबंदी पर खुद का आई कार्ड दिखाकर बच जाता था। फिर शहर पहुंच कर अफीम को तस्कर आगे सप्लाई कर देता था। लेकिन, अब पुलिस कमिश्नर मनदीप सिंह सिद्धू के ध्यान में मामला आने के बाद उन्होंने तुरंत आरोपी कांस्टेबल पर कार्रवाई के आदेश जारी किए। जिसके बाद आरोपी कांस्टेबल हरमनदीप सिंह को केस में नामजद कर पुलिस ने काबू कर लिया है। आरोपी को अदालत पेश किया गया। जहां से उसे दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। आरोपी से पूछताछ चल रही है। जानकारी देते हुए पुलिस कमिश्नर मनदीप सिंह सिद्धू ने बताया कि एंटी नारकोटिक्स सैल-1 की टीम ने 12 अगस्त को गुरप्रीत सिंह उर्फ प्रीत को काबू किया था। उसके कब्जे से 450 ग्राम अफीम बरामद हुई थी। थाना मेहरबान में उसके खिलाफ एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। जब रिमांड दौरान आरोपी से पूछताछ की गई तो उसने बताया था कि नशा तस्करी में उसकी मदद कांस्टेबल हरमनदीप सिंह करता था।
जोकि उस समय थाना मेहरबान में ही तैनात था। उस समय एंटी नारकोटिक्स सैल की पुलिस ने कांस्टेबल हरमनदीप सिंह से पूछताछ की थी, मगर उसने आरोपी नशा तस्कर को पहचानने से इंकार कर दिया था। उस समय उसका तबादला कर पुलिस लाइन में भेज दिया गया था। इसके बाद पुलिस ने दोनों के मोबाइल की सी.डी.आर. निकलवाई थी। जिसमें स्पष्ट हो गया कि दोनों साथ-साथ ही यू.पी. जाते थे। आरोपी गुरप्रीत सिंह ने बताया कि वह यू.पी. के जिला मुरादाबाद से अफीम लेकर आता था। कांस्टेबल हरमनदीप सिंह उसका जानकार था। जोकि उसके साथ अपनी कार लेकर जाता था। वह अपनी वर्दी गाड़ी में टांग लेता था ताकि कोई उसे रास्ते में रोके तो पंजाब पुलिस का मुलाजिम कह कर वहां से निकलने में आसानी हो। हरमनदीप काफी समय से वर्दी की आड़ में नशा तस्करी में उसकी मदद करता आ रहा था। वह उसका सुरक्षा कवच बनकर जाता था।