US से वापसी में इजिप्ट उतरेंगे PM नरेन्द्र मोदी, लंबे समय से टल रहा था दौरा… कश्मीर पर मिला था धोखा!
नई दिल्ली
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका की राजकीय यात्रा से लौटते वक्त अफ्रीकी देश इजिप्ट का भी दौरा करेंगे, जो काफी लंबे वक्त से टलता आ रहा था। इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया है, कि सुरक्षा से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा तक के क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा से वापस लौटते समय इस महीने मिस्र की यात्रा कर सकते हैं। इससे पहले इसी साल जनवरी में भारत ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनाया था, जिसका मकसद दोनों देशों के बीच के संबंधों को और मजबूत करना था।
हालांकि, पीएम मोदी की प्रस्तावित इजिप्ट दौरे को लेकर पूरा शेड्यूल अभी तय नहीं किया गया है और रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी के इजिप्ट दौरे का पूरा कार्यक्रम दोनों पक्षों के अधिकारी मिलकर तय कर रहे हैं। मामले से परिचित लोगों ने कहा, कि प्रधानमंत्री के 24 जून को अमेरिका की अपनी राजकीय यात्रा के समापन के तुरंत बाद मिस्र की यात्रा करने की उम्मीद है।
मजबूत हो रहे भारत-मिस्र संबंध
राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी, गणतंत्र दिवस समारोह कार्यक्रम में शामिल होने वाले मिस्र के पहले नेता था, हालांकि दोनों देशों ने पिछले दशकों में घनिष्ठ संबंधों का आनंद लिया है, खासकर 1961 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के संस्थापक सदस्यों के रूप में दोनों देशों के बीच काफी अच्छे संबंध रहे हैं। हालांकि, इसके बाद भी प्रधानमंत्री मोदी का मिस्र का दौरा बार-बार विभिन्न वजहों से टलता आ रहा था, जबकि मिस्र के राष्ट्रपति ने हाल के वर्षों में तीन बार भारत की यात्रा की है, जिसमें अक्टूबर 2015 में, तीसरे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए, सितंबर 2016 में अपनी पहली भारत की राजकीय यात्रा के लिए, और तीसरी बार इसी साल जनवरी में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनकर।
साल 2020 में प्रधानमंत्री मोदी को मिस्र की यात्रा करनी थी, लेकिन कोविड महामारी की वजह से उनकी यात्रा को कैंसिल करना पड़ा था। वहीं, मामले से परिचिन लोगों में से एक ने कहा, कि "पीएम मोदी की आगामी यात्रा में, इस साल सिसी की यात्रा के बाद संबंधों में बनाई गई गति को बनाए रखने और आपसी संबंधों में प्रगति का जायजा लेने का अवसर होगा।" भारत और मिस्र, पिछले कुछ सालों में रक्षा और सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन में सहयोग को लेकर प्रमुख सहयोगी बनकर सामने आए हैं। दोनों देशों ने पिछले साल रक्षा सहयोग बढ़ाने पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और संयुक्त अभ्यास को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की थी। वहीं, माना जा रहा है, कि मिस्र भारत के डिफेंस सेक्टर का बड़ा ग्राहक बन सकता है और मिस्र की नजर भारत के घरेलू हल्के लड़ाकू जेट तेजस पर है और वो भारत को 70 तेजस फाइटर जेट खरीदने का ऑर्डर दे सकता है।
आपको बता दें, कि यूक्रेन युद्ध से पहले अफ्रीकी देशों में रूस की तरफ से हथियारों की सप्लाई की जाती थी, लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद से अफ्रीका के हथियार बाजार में खालीपन आना शुरू हो गया है, जिसे भारत भरने की कोशिश कर रहा है और अगर भारत को इसमें कामयाबी मिलती है, तो ये डिफेंस सेक्टर के लिए बहुत बड़ा बूस्ट होगा। इसके अलावा, मिस्र ने भारत की कंपनियों के साथ तीन समझौते किए हैं, जिसमें हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए 21 अरब डॉलर की निवेश की जाएगी। वहीं, अंतर-विश्वास संवाद को बढ़ावा देने और कट्टरता और उग्रवाद जैसे मुद्दों से निपटने के प्रयासों के तहत, मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती, शॉकी इब्राहिम अब्देल-करीम अल्लम ने मई में भारत का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने भारत के धार्मिक नेताओं के साथ कई बैठकें की थी।
हालांकि, अच्छे संबंध होने के बाद भी मिस्र ने कश्मीर पर भारत को 'धोखा' दिया था और पिछले महीने, जब भारत ने कश्मीर में जी20 टूरिज्म की बैठक का आयोजन किया था, तो मिस्र ने भी बैठक का बहिष्कार किया था, जो भारत के लिए बड़ा झटका था और जिससे पता चलता था, कि भारत से मजबूत संबंध होने के बाद भी मिस्र के दिल में पाकिस्तान के लिए सॉफ्ट कॉर्नर है।