रायपुर.
अभी हॉल ही में रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल द्वारा भिलाई में एक कार्यक्रम रखा गया जिसमें जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. अंकुर सिंघल द्वारा मर्जरी लाभ हुए मरीजों को बुलाया गया था जिसमें मरीजों ने न केवल अपना अनुभव साझा किया बल्कि फैशन वॉक व डांस करके बताया कि वह पूरी तरह से फीट है। कुछ मरीज तो 80 से 85 साल के भी थे जिन्होंने बताया कि कैसे वे आॅपरेशन से पहले लकड़ी लेकर चलते थे और आज वे बिना सहारे के अच्छी तरह से चल पा रहे है। कई मरीज ऐसे थे जो व्हीलचेयर का सहारा लिया करते थे लेकिन वे भी अब आॅपरेशन के बाद सामान्य जीवन यापन कर रहे है।
रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल के जाने माने जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. अंकुर सिंघल द्वारा मरीजों का इलाज मिनीमम कट तकनीक (रूष्टञ्ज) द्वारा किया जाता है। जिसमें मरीज को तीन घंटे बाद चलाया जाता है और उन्हें सोढ़ी पर चढ़ाया भी जाता है इस तकनीक द्वारा उनकी रिकवरी तेजी से होती है। डॉ. सिंघल ने बताया कि मिनीमम कट तकनीक (रूष्टञ्ज) यह है कि इसमें छोटे चिरे का आॅपरेशन होता है, चमड़ी पर टांका नहीं लगाते, इससे मरीज को पेन कम होता है, उनकी फास्ट रिकवरी होती है, ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरुरत नहीं पड़ती है। इससे मरीज बहुत जल्द ठीक हो जाता है और लगभग एक महीने में नॉर्मल लाइफ में आ जाता है।
जिन मरीजों के घुटने जो टेढ़े-मेढ़े थे वह भी ठीक हो गए है और वह रोजाना 4 से 5 किलोमीटर तक पैदल चल रहे है, कुछ मरीजों का जॉब भी लग चुका है क्योंकि घुटने व कूल्हे की तकलीफ की वजह से उनका जॉब छूट गया था। अब वह सभी मरीज बहुत खुश है क्योंकि वह अब आसानी से सीढ़ी चढ़ पा रहे है बल्कि दौड?े भी लग गए है. प्रफुल्लित मन से डांस भी कर रहे हैं और उन्हें लगने लगा है कि वे अब पहले की तरह पूरी तरह फिट है। उनकी जीवन शैली भी पहले जैसे हो गई है।
डॉ. अंकुर सिंघल ने बताया कि ज्वाइंट अथराइटिस्ट कॉमन बीमारी है लेकिन यह दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी बन चुकी है और दिन व दिन बढ़ते ही जा रही है। न सिर्फ इसमें आपको जागरूकता की जरुरत है बल्कि सही इलाज की भी जरूरत है। डॉ. सिंघल ने मरीजों को बताया कि ज्वाइंट अथराइटिस्ट एवं उससे बचाव के साथ ही इस स्टेज में यह सर्जरी की जाती है।