पाकिस्तानी ISI एजेंट रईस चढ़ा यूपी एटीएस के हत्थे, जासूसी करने पर मिलते थे 15 हजार रुपये
लखनऊ.
यूपी एटीएस ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले मो. रईस को रविवार को लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया। उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया था। रईस गोंडा जिले के तरबगंज थाना क्षेत्र स्थित दीनपुरवा गांव का रहने वाला है। उसके दो सहयोगियों अरमान व सलमान की गिरफ्तारी के लिए एटीएस की टीम मुंबई भेजी गई है।
रईस के विरुद्ध एटीएस के लखनऊ थाने में आईपीसी की धारा-121 ए व 123 तथा शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923 की धारा तीन, पांच व नौ के तहत मुकदमा किया गया है। एटीएस को विभिन्न गोपनीय स्रोतों से यह खुफिया सूचना मिल रही थी कि आईएसआई एजेंट द्वारा भारतीय नागरिकों को देश के विरुद्ध बरगलाकर और प्रलोभन में फंसा कर भारतीय सैन्य एवं सामरिक महत्व के स्थानों की गोपनीय व प्रतिबंधित सूचनाएं हासिल की जा रही हैं। जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि गोंडा के तरबगंज का रहने वाला मो. रईस पुत्र मो. हुसैन आईएसआई का एजेंट बन चुका है और वह महत्वपूर्ण गोपनीय सूचनाओं को आईएसआई के हैंडलर्स को उपलब्ध करवा रहा है। इसके बदले उसे धन प्राप्त होने की जानकारी भी मिली। इसके बाद रईस को एटीएस मुख्यालय पर बुलाकर पूछताछ की गई। जब उससे आईएसआई को भेजी गई सूचनाओं के संबंध में पूछा गया तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। कड़ाई से हुई पूछताछ में रईस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।
मुंबई में मिले थे आईएसआई एजेंट
रईस ने बताया कि कुछ साल पहले वह मुबंई में प्राइवेट काम करता था, जहां उसकी मुलाकात अरमान नाम के एक व्यक्ति से हुई। अरमान ने रईस को भारत में मुसलमानों पर हो रहे जुल्म और बाबरी मस्जिद की शहादत का जिक्र करते हुए बरगलाया और भारत के विरुद्ध जासूसी करने के लिए उकसाया। इस दौरान रईस ने अरमान को बताया कि वह सऊदी अरब जाकर काम करना चाहता है। इस पर अरमान ने रईस को बताया कि वह उसका नंबर पाकिस्तान के एक व्यक्ति को दे देगा, जो उसे कॉल करेगा और अगर वह उसके यकीन पर खरा उतरा तो वह भारत के खिलाफ काम कर बदला लेने का मौका देगा।
साथ ही साथ मोटा पैसा और दुबई में नौकरी भी दिला देगा। वर्ष 2022 में रईस के पास एक व्यक्ति ने विदेशी नंबर से व्हाट्सएप कॉल की और अरमान का जिक्र करते हुए बात की। उसी व्यक्ति ने ही एक बार रईस को हुसैन के बारे में बताया और कहा कि हुसैन उससे बात करेगा और बताएगा कि क्या करना है। इसके बाद रईस और हुसैन की आपस में बातें होने लगीं। हुसैन ने यह भी बताया कि वह पाकिस्तानी जासूस है। हुसैन ने जासूसी के काम के बदले रईस को पैसे देने का वादा किया था। हुसैन ने रईस को कुछ महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों की तस्वीरें और और उनसे संबंधित संवेदनशील सूचनाएं भेजने को कहा।
इस पर रईस ने अपने दोस्त सलमान व अन्य को भी आईएसआई के एजेंट के कहने पर अपने जासूसी के काम में शामिल किया। इन दोस्तों से रईस की मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार और बाबरी मस्जिद की शहादत के संबंध में पहले भी बात होती रहती थी। रईस ने स्वीकार किया कि उसने जासूसी के पूरे मामले और इससे मिलने वाले पैसे के बारे में दोस्तों को समझाया और जासूसी करने के लिए तैयार कर कुछ सैन्य छावनियों और प्रतिष्ठानों के संबंध में महत्वपूर्ण सूचनाएं और तस्वीरें एकत्र कारवाई। इन सभी सूचनाओं को उसने अपने संपर्क में रहने वाले पाकिस्तानी जासूसों को भेज दिया, जिसके एवज में पाकिस्तानी जासूसों द्वारा उसे 15 हजार रुपये दिए गए थे।
रईस को दिया था बांग्लादेशी मोबाइल नंबर
रईस ने बताया कि पाकिस्तानी आईएसआई हैंडलर ने उसे एक बांग्लादेशी फर्जी मोबाइल नंबर देकर व्हाट्सएप बिजनेस एकाउंट बनाने को कहा और इसके लिए हैडलर ने रईस को ओटीपी भी शेयर किया। रईस इस नंबर से आईएसआई हैंडलर से भारत विरोधी और जासूसी की बात करता था। यह नंबर अभी भी रईस के मोबाइल में हैं। एटीएस की टीमें अरमान और सलमान की तलाश में मुंबई रवाना हो गई हैं। इन दोनों के पकड़े जाने पर आईएसआई के नेटवर्क का बड़ा खुलासा होने की संभावना है।