देश

हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं… जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से 45 मिनट तक की बात

नई दिल्ली

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को चीन के विदेश मंत्री किन गांग के साथ हुई बैठक में कहा कि भारत-चीन के बीच संबंध ‘‘असामान्य’’ हैं। बैठक में दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों की चुनौतियों, खास तौर से सीमावर्ती क्षेत्र में शांति और स्थिरता से जुड़ी चुनौतियों से निपटने पर चर्चा हुई। जी-20 के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर जयशंकर और किन की यह पहली मुलाकात है। पूर्वी लद्दाख में 34 महीने से अधिक समय से जारी सीमा विवाद के बीच बैठक हुई। किन दिसंबर में चीन के विदेश मंत्री बने थे, और उन्होंने वांग यी की जगह ली थी।

जयशंकर ने पत्रकारों से कहा, ‘‘उनके विदेश मंत्री बनने के बाद यह हमारी पहली मुलाकात है। हमने एक-दूसरे से करीब 45 मिनट चर्चा की और मोटे तौर पर यह चर्चा हमारे संबंधों की वर्तमान स्थिति के बारे में थी, जिसके बारे में आपमें से ज्यादातर लोगों ने सुना होगा कि वह (संबंध) असामान्य है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘और बैठक में मैंने जिन विशेषणों का उपयोग किया उनमें यह (असामान्य) भी था। संबंधों में कुछ वास्तविक समस्याएं हैं जिन पर ध्यान देने, जिन पर खुलकर और दिल से बात करने की जरूरत है।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि बैठक में सामान्य तौर पर द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई। किन भारत की मेजबानी में हो रही जी-20 की बैठक में शामिल होने बृहस्पतिवार सुबह दिल्ली पहुंचे। जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘आज दोपहर जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर चीन के विदेश मंत्री किन गांग से मुलाकात की। हमारी बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए मौजूदा चुनौतियों पर ध्यान देने पर जोर दिया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने जी-20 के एजेंडा के बारे में भी बातचीत की।’’

भारत कहता रहा है कि चीन के साथ उसके संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं आती। जयशंकर ने करीब आठ महीने पहले बाली में जी-20 की एक बैठक से इतर तत्कालीन चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। उन्होंने सात जुलाई को हुई एक घंटे की बैठक के दौरान वांग को पूर्वी लद्दाख में लंबित सभी मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत का संदेश दिया था।

तब विदेश मंत्री ने वांग से कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों पर आधारित होने चाहिए। वांग पिछले साल मार्च में भारत आये थे। दोनों पक्षों ने सैन्य वार्ता के 16वें दौर में लिये गये फैसलों के अनुरूप पिछले साल सितंबर में गोगरा-हॉटस्प्रिंग क्षेत्र में स्थित पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से सैनिकों को वापस बुलाया था। लेकिन दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाओं के बीच डेमचोक और डेपसांग क्षेत्रों में टकराव की स्थिति बनी रही। भारत ने टकराव के बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने पर जोर दिया था।

भारत और चीन ने गत 22 फरवरी को बीजिंग में प्रत्यक्ष राजनयिक वार्ता की थी और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थित टकराव वाले बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के प्रस्ताव पर ‘‘खुली और सकारात्मक चर्चा’’ की थी। भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और सहयोग के लिए कार्य प्रणाली की रूपरेखा के तहत बैठक हुई। पैंगांग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा क्षेत्र में गतिरोध पैदा हुआ था।

जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण टकराव के बाद दोनों देशों के बीच संबंध में और तनाव आ गया था। शृंखलाबद्ध सैन्य और राजनयिक वार्ताओं के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पैंगांग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों तथा गोगरा क्षेत्र में 2021 में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की।

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button