“भाजपा का कार्यकर्ता और नेता ही भाजपा को हरा सकता है” – गृह मंत्री शाह
भोपाल
केंद्रीय मंत्री शाह के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री जिला प्रभारियों के जरिये चुनावी जमावट के लिए जानकारी जुटा कर दिल्ली भेज रहे हैं। इस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री शाह के 22 और 23 जुलाई को भोपाल और उज्जैन प्रवास के दौरान चर्चा होना तय माना जा रहा है। भाजपा का मानना है कि बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार ने इतने काम किए हैं कि विपक्ष का उसे हरा पाना संभव नहीं है।
भाजपा का कार्यकर्ता और नेता ही भाजपा को हरा सकता है। इसलिए प्रदेश की चुनावी कमान संभालने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने प्रदेश संगठन से कहा है कि हर विधानसभा सीट में पार्टी के असरदार पदाधिकारियों, पूर्व जनप्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं की जानकारी जुटाकर फार्मेट में भेजी जाए। इसमें साफ तौर पर पूछा गया है कि किस विधानसभा के कौन से नेता, पदाधिकारी की आपस में नहीं बनती है। ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार करना है।
इसके साथ ही इसमें यह भी जानकारी देना है कि आपस में एक दूसरे का विरोध कर रहे ये नेता किसके कहने पर अपना विरोध दरकिनार कर पार्टी के लिए काम करने में जुट जाएंगे, फिर चाहे टिकट किसी को भी मिले। जानकारी उपलब्ध हो तो यह भी बताना है कि विधानसभा स्तर पर एक दूसरे का विरोध करने वाले नेताओं के बीच विवाद और आपसी तालमेल न होने की वजह क्या है? केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद प्रदेश संगठन को कई जिलों से जानकारी मिल गई है और बाकी जिलों से जुटाई जा रही है।
टिफिन बैठकें इसी के मद्देनजर हो रहीं
पार्टी ने टिफिन बैठकें इसी के मद्देनजर कराने का निर्णय मई माह में लिया था और विशेष संपर्क अभियान के अंतर्गत जिला स्तर पर टिफिन बैठकों का आयोजन स्थानीय विधायकों, पदाधिकारियों के माध्यम से कराने को कहा गया था। इसके सार्थक परिणाम भी कुछ हद तक पार्टी को मिले हैं।
धार, सागर समेत कई जिलों में सार्वजनिक हो चुके हैं विवाद
पार्टी में वरिष्ठ और जनाधार वाले नेताओं के विवाद लगभग सभी जिलों में हैं। इसमें दमोह, धार, सागर, शिवपुरी, ग्वालियर, इंदौर, रतलाम, टीकमगढ़, पन्ना, नीमच समेत दर्जन भर जिलों में पार्टी नेताओं के बीच हुए विवाद के मामले तो मीडिया की सुर्खियां भी बन चुके हैं। कई मामलों में राजधानी तक शिकायत पहुंचने के बाद प्रदेश संगठन को हस्तक्षेप करना पड़ा है। उधर कई जिलों में जिला अध्यक्षों और जिला पदाधिकारियों के कारण भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व जनप्रतिनिधियों में नाराजगी है।
कार्यकर्ताओं में जोश भरने इंफ्लूएंसर की तलाश
पार्टी में एकजुटता के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने यह भी पूछा है कि नाराज नेता पार्टी में किसका कहना मानकर पूरी ताकत से चुनाव में जुटेंगे, इसमें यह भी लिखना है। अगर जिला स्तर पर जिला अध्यक्ष, सांसद, विधायक, जिला प्रभारी से बात बनती है तो ठीक है अन्यथा प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के नाम भी देना है जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य या अन्य कोई नेता या पदाधिकारी जिसका कहना दोनों पक्ष मानें, उनके नाम लिखकर भेजना है।
इतना ही नहीं पार्टी ने इसमें संघ की मदद लेने का भी फैसला किया है। यानी नाराज नेता अगर संघ के विभाग कार्यवाह, क्षेत्रीय कार्यवाह, प्रांत कार्यवाह या अन्य किसी पदाधिकारी के कहने से विरोध खत्म करते हैं, तो उनका नाम भेजा जाएगा और आने वाले दिनों में इन नेताओं, पदाधिकारियों के माध्यम से बैठक कराकर विवाद का निराकरण कराया जाएगा।