राजधानी के अस्पतालों में H3N2 की जांच की कोई व्यवस्थाएं नहीं
भोपाल
राजधानी भोपाल में इन्फ्लूएंजा के लक्षण वाले मरीज 25-30 दिन से बढ़े हैं। लेकिन सरकारी अस्पतालों में एच3 एन2 इंफ्लुएंजा वायरस की जांच की कोई खास व्यवस्थाएं नहीं है। सिविल अस्पताल में जांच के नाम पर आरटीपीसीआर टेस्ट किया जा रहा है तो जीएमसी की स्टेट वायरोलॉजी में अभी टेस्ट के लिए किट ही मौजूद नहीं है।
हालांकि एम्स की रीजनल वायरोलॉजी लैब में ही इसकी जांच की सुविधा है। जहां अब तक सिर्फ एक मामला सामने आया है। सरकारी अस्पतालों में जांच की सुविधा न होने का लाभ निजी लैब संचालक उठा रहे हैं। एच3एन2 की जांच के नाम पर कहीं 1200 तो कहीं 4900 रुपए लिए जा रहे हैं।
एंफ्लूएंजा गाइडलाइन
एच3एन2 को लेकर केंद्र कि तरफ से राज्यों के लिए क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल फॉर सीजनल एंफ्लूएंजा गाइडलाइन जारी की गई है। जिसके अनुसार आक्सीजन स्तर 90 से कम होने पर अस्पताल में भर्ती करने को कहा गया है। साथ ही आइसोलेशन वार्ड में दो बेड के बीच एक मीटर दूरी रखने के निर्देश दिए।
नहीं मिला एच3एन2 का मरीज
जेपी अस्पताल में मौसम में बदलाव से बीमार होने वाले मरीज बढ़े हैं। ज्यातादर मरीजों में बुखार, खांसी, सांस में तकलीफ की शिकायत है। इसलिए जांच का दायरा बढ़ाया है, ताकि अधिक से अधिक जांच हो सकें। दरअसल लोगों को एच 3 एन 2 से संक्रमित तो नहीं है, इसलिए संदेह वाले मरीजों का टेस्ट कराया जा रहा है, अभी तक कोई संक्रमित नहीं मिला है।
–डॉ. राकेश श्रीवास्तव, सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल
आठ दस दिनों से सर्दी-खांसी की शिकायत बनी हुई थी, दवा लेने के बाद भी सुधार नहीं हुआ। जेपी अस्पताल जांच के लिए पहुंचे तो यहां मना कर दिया गया, बाद में प्रायवेट लैब में जाकर पैसे खर्च कर जांच कराई है।
–सचिन राजपूत, निवासी, कोलार
मौसम में बदलाव से पूरा परिवार बीमार है, बुखार के साथ जुकाम हो रहा है। कोलार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जांच की सुविधा नहीं है। इसलिए प्रायवेट अस्पताल में जांच कराने आए हैं।
–रश्मि सिंह, निवासी, कोलार