नीतीश के मंत्री का दावा: शराबबंदी के पक्ष में पूरा बिहार, अबतक 7 लाख से ज्यादा पियक्कड़-तस्कर गिरफ्तार, करोड़ों लीटर शराब जब्त
पटना
बिहार में शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार ने नए आंकड़े जारी किए हैं। आंकड़ों के मुताबिक शराबबंदी कानून के तहत जनवरी 2023 तक 7 लाख 49 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि शराबबंदी कानून के उल्लंघन के मामलों में सजा की दर फरवरी 2023 तक 21.98 फीसदी है, और दर्ज मामलों की संख्या 5 लाख 63 हजार है। जिसमें 1 लाख 24 हजार 797 मामलों का निस्तारण हो चुका है। वहीं 1 लाख 23 हजार 792 प्रकरणों में दंड दिया गया है। आपको बता दें राज्य में अप्रैल, 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई थी।
बिहार में सख्ती से लागू है शराबबंदी
हाल ही में राज्य विधानसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए आबकारी मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि शराबबंदी के मामलों में सजा की दर 21.98 प्रतिशत है। शराबबंदी संबंधी मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए 74 विशेष अदालतें (आबकारी) कार्यरत हैं।। आबकारी मंत्री ने बताया कि शराबबंदी लागू होने के बाद अब तक 1.54 करोड़ लीटर अवैध विदेशी शराब और 96.71 लाख लीटर अवैध देशी शराब जब्त की जा चुकी है। राज्य में शराबबंदी को सख्ती से लागू करने का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य में शराब की तस्करी को रोकने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। नियमित छापों, अंतरराज्यीय सीमाओं पर चेक पोस्ट और ड्रोन के इस्तेमाल से अवैध शराब बनाने वाली जगहों पर छापेमारी की कार्रवाई हुई है।
शराबबंदी को बिहार की जनता का समर्थन
मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि हम शराब का सेवन करने वाले लोगों का पता लगाने के लिए 1040 ब्रेथ एनालाइजर का भी उपयोग कर रहे हैं। जबकि हैंड हेल्ड स्कैनर का भी उपयोग किया जा रहा है, जो वाहनों में छिपे शराब की खेप का पता लगाने में मदद करता है। राज्य सरकार ने जागरूकता कार्यक्रम, नुक्कड़ जैसे प्रयासों का भी लेखा-जोखा दिया। नाटक और पोस्टर लगाने से राज्य में शराबबंदी के सकारात्मक पहलुओं के बारे में लोगों को शिक्षित करने में मदद मिली है।
हाल ही में चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी, पटना और जीविका द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण का भी उल्लेख करते हुए कहा कि सर्वेक्षण के 99% लोगों ने शराबबंदी के पक्ष में समर्थन किया था। साथ ही मंत्री ने कहा कि सर्वेक्षण के निष्कर्षों सामने आया है बिहार की जनता पूरी तरह शराबबंदी के पक्ष में है। और इससे लोगों को भोजन, कपड़े, बच्चों की शिक्षा पर अधिक खर्च करने में मदद मिल रही है। साथ ही घरेलू हिंसा पर भी लगाम लगी है। और अब लोगों की जीवन शैली में सुधार हुआ है।