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देश को समर्पित नई संसद, अब अंग्रेजों के जमाने की संसद का क्या होगा

नई दिल्ली
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देश को नई संसद की सौगात दी। जानकारों का मानना है कि नई संसद भवन बेहद भव्य और वैदिक-धार्मिक महत्व वाली है। नई संसद भवन को सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनाया गया है। इसमें लोकसभा की 888 सीटों को राष्ट्रीय पक्षी मोर की आकृति दी गई है, राज्यसभा की 348 सीटों को राष्ट्रीय पुष्प कमल की तरह बनाया गया है। जबकि, तीसरे मुख्य हिस्से संयुक्त सत्र के लिए 1272 सीटों वाला वृहद हॉल बनाया गया है। अब नई संसद भवन पर अब कामकाज शुरू हो जाएगा, ऐसे में सवाल यह है कि अंग्रेजों के जमाने की पुरानी संसद भवन का क्या होगा? पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पूजा-पाठ के बाद देशवासियों को नई संसद भवन समर्पित की। नई संसद परिसर में पहले के बजाय काफी ज्यादा सुविधाएं और हाईटेक व्यवस्था है। यहां पहले से कहीं ज्यादा बड़े विधायी कक्ष होंगे।

स्पीकर की कुर्सी के पास सेंगोल की स्थापना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में स्पीकर की कुर्सी के पास सेंगोल को स्थापित किया। इससे पहले उसकी पूजा-अर्चना की गई। पीएम मोदी ने इसे साष्टांग प्रणाम भी किया। इतिहासकारों की मानें तो सेंगोल को प्राचीनकाल से राजदंड के रूप में जाना जाता है। राजदंड सिर्फ सत्ता का प्रतीक नहीं, बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और प्रजा के लिए राज्य के प्रति समर्पित रहने के वचन का स्थिर प्रतीक भी रहा है।

नई संसद भवन की खासियत
नए परिसर में बड़े विधायी कक्ष हैं। नई लोकसभा में 888 सीटों को राष्ट्रीय पक्षी मोर का आकार दिया है, जहां बैठने की वर्तमान क्षमता से तीन गुना अधिक है। जबकि राज्य सभा के लिए 348 सीटें होंगी, जो राष्ट्रीय पुष्प कमल की थीम पर है। नए भवन में लोकसभा हॉल संयुक्त सत्र के लिए 1272 सीटों का समागम है। यहां एक बरगद का पेड़ भी है। इसके बाहरी हिस्से में पिछले भवन की तरह कार्यालय होंगे और पुराने परिसर से केंद्रीय संयुक्त सत्र एलएस हॉल का एक हिस्सा होगा। नए परिसर में कार्यालयों को 'अल्ट्रा-मॉडर्न' फैशन में डिजाइन किया गया है। नए परिसर में बड़े समिति कक्ष हैं, जो दक्षता बढ़ाने के लिए नवीनतम तकनीक और उद्देश्य-डिजाइन स्थानों से सुसज्जित हैं।

पुराने संसद भवन का क्या होगा
नई संसद भवन के बन जाने के बाद अब पुरानी संसद भवन का क्या होगा? पुरानी संसद भवन को वास्तुकारों ने 'काउसिंल हाउस' के रूप में डिजाइन किया था। इसे बनाने में छह साल लगे थे, यह 1921 में बनना शुरू हुआ और 1927 तक बनकर तैयार हुआ। उस वक्त इस भवन में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद काम करती थी। उस वक्त इसे बनाने पर 83 लाख रुपये खर्च हुए थे। अधिकारियों के अनुसार मौजूदा संसद भवन का इस्तेमाल संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा।

 

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