भोपालमध्यप्रदेश

नई शिक्षा नीति भविष्य की जरूरत है -अशोक कड़ेल

हिंदी विश्वविद्यालय में कार्यशाला

नई शिक्षा नीति भविष्य की जरूरत है -अशोक कड़ेल

भोपाल

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा और साहित्य का पुनरावलोकन विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आज रवींद्र भवन के गौराञ्जनी सभागार में शुभारंभ हुआ।
कार्यशाला का प्रारंभ परम्परागत रूप से माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर हुआ तथा विषय प्रवर्तन विश्वविद्यालय के हिंदी के विभागाध्यक्ष गौरव गुप्ता के द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि माननीय अशोक कड़ेल, निदेशक म.प्र.हिंदी ग्रंथ अकादमी के द्वारा अपने सारगर्भित उद्बोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति के अनुरूप है और नित नूतन चिर पुरातन के स्वरूप के अनुकूल है।

यह नीति सर्वे भवंतु सुखिनः की उक्ति को चरितार्थ करने के लिए, विद्यार्थियों को गढ़ने का कार्य करेगी। इसके साथ ही साथ भारतीयता में प्रदूषण के लिए स्थान नहीं है तथा परिसर, परिधान और परिवेश के सामञ्जस्य के द्वारा भारतीयता का प्रभाव परिलक्षित होना चाहिए एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश की पहल के द्वारा यह दृष्टिगोचर हो रहा है। उन्होंने बताया है कि पंचकोषीय अवधारणा और व्यक्तित्व का विकास एवं चरित्र निर्माण भारतीय शिक्षा पद्धति के मूल में है और इसके लिए हिंदी विश्वविद्यालय के द्वारा कार्य किया जा रहा है। कड़ेल ने बताया कि प्रथम चरण में 27 विषयों का चयन किया गया है जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के लिए हिंदी विषय में पुस्तकों के निर्माण के लिए कार्य किया जाना है।
अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रो.डहेरिया जी के द्वारा सभी के सहयोग से कार्य करने की बात कही और मुंशी प्रेमचंद की कहानियों का उल्लेख किया।उन्होंने गीता, बुद्ध और तुलसी की समन्वय विचारधारा का उल्लेख करते हुए बताया राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में पढ़ने पढ़ाने के स्थान पर सीखने सिखाने पर जोर दिया गया है। उद्घाटन सत्र के आभार में विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेंद्र जैन के द्वारा जीवन में मूल्यों की महत्ता बताते हुए कहा कि मातृभाषा हमारी पगड़ी है इज्जत है।

कार्यशाला के दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। जिनमें प्रथम सत्र में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की प्राध्यापक प्रो.गीता नायक के द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा में भाषा विज्ञान की परंपरा का तथ्यात्मक उद्बोधन दिया एवं भाषा की दैवीय उत्पत्ति, माहेश्वर सूत्र, सूक्ष्मतम भावों की अभिव्यक्ति, मंत्र-कल्प, ॐ भूः भुवः स्वः, बैखरी, मध्यमा, पश्यति तथा परा, व्यक्त वाणी, राष्ट्र सङमनी आदि के रूप में भाषा की व्याख्या करते हुए पाणिनि और कबीर के योगदान को रेखांकित किया। कार्यशाला में प्रो.कृष्ण गोपाल और प्रो.प्रेमलता चुटैल के द्वारा भी सारगर्भित उद्बोधन दिया गया। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में विभिन्न प्राध्यापकों और शोधार्थियों के द्वारा शोध-आलेख प्रस्तुत किए गए। सर्वप्रथम अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के समन्वयक एवं प्रभारी यूजीसी शाखा सौरभ खरे ने अपने शोधपरक आलेख को सारांश रूप में उद्धृत करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा क्रेडिट का 5% भारतीय ज्ञान परंपरा के होने और 2025 ईस्वी तक 15 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षण की बात कही और शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए स्वतंत्रता के पश्चात् से गठित आयोगों के द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों से नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की उत्कृष्टता को रेखांकित करते हुए महामहिम राष्ट्रपति जी के द्वारा पंक्तियों के मध्य अनकही बातें समझने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा  कि जो अभिव्यक्त नहीं है उसे समझने की आवश्यकता है।

अपने शोधपरक आलेख में बताते हुए खरे के द्वारा शिक्षा के अनौपचारिक स्वरूप, प्रविधियों के द्वारा शिक्षण-प्रशिक्षण के साथ ही साथ कृष्ण के द्वारा अर्जुन को औपचारिक रूप से लुप्तप्राय ज्ञान को अनौपचारिक रूप से प्रदान करने की महत्ता को उल्लेखनीय बताया एवं अनौपचारिक ज्ञान परंपरा को महत्त्वपूर्ण उपागम बताया। खरे ने  लोकोक्तियों, कहावतों तथा मुहावरों की ज्ञान परंपरा की समृद्ध विरासत को उल्लेखित किया एवं चौपालों पर चर्चा की अंतःक्रिया के महत्त्व से ज्ञान परंपरा द्वारा विभिन्न समस्याओं के निराकरण की महत्ता बतायी। इसके बाद किरणबाला, नितेश व्यास, हमीदिया महाविद्यालय की हिंदी की विभागाध्यक्ष प्रो.शारदा सिंह एवं शोधार्थी सुभाष जादव के द्वारा अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। अंतिम सत्र में विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद् सदस्यों के द्वारा समाहार किया गया एवं डॉ कुसुम दीक्षित के द्वारा आभार प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की शिक्षिका डॉ अनीता चौबे के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सभी शिक्षक अधिकारी के अलावा बड़ी संख्या में रिसर्च स्कॉलर मोजूद रहे।

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button