सुकमा
ताड़मेटला में तीन दिन पहले पुलिस ने मुठभेड़ में 2 नक्सलियों को ढेर किया था। जिसके बाद नक्सल संगठन ने पर्चा जारी कर पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया है। मारे गए नक्सलियों को संगठन के सदस्यों ग्रामीण बताया है। नक्सलियों के इन आरोपों के बाद बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने नक्सलियों को चुनौती दते हुए उन्होंने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अगर हिम्मत है तो 48 घंटे के अंदर बताएं कि सुकमा जिले में एक मजदूर, शिक्षक और उप सरपंच की हत्या किस नक्सली ने की थी, उनके नाम उजागर करें। नक्सली सिर्फ जनता को गुमराह करने के लिए पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगा रहे हैं। नक्सली संगठन अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए झूठा प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। निर्दोष ग्रामीणों की हत्या और प्रताडना जैसी वारदात पर पर्दा डालने के लिए क्षेत्र की जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को सुकमा जिले के ताड़मेटला के जंगल में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई थी। जिसमें जवानों ने दो नक्सलियों को मार गिराया था। उनकी पहचान मिलिशिया कैरवा देवा और सोढ़ी कोसा के रूप में हुई थी। इन दोनों के ऊपर एक-एक लाख रुपए का इनाम भी घोषित था। यह दोनों नक्सली ताड़मेटला पंचायत के उप सरपंच माड़वी गंगा, शिक्षादूत कवासी सुक्का और गांव पालीगुड़ा में अपने परिजनों से मिलकर वापस आ रहे मजदूर कोरसा कोसा की हत्या में शामिल थे। उन्होंने नक्सलियों को चुनौती देते कहा कि अगर उपसरपंच, शिक्षादूत और मजदूर की हत्या में रवा देवा एवं सोढ़ी कोसा की भूमिका नहीं थी, तो अन्य कौन-कौन से मिलिशिया कैडर शामिल थे। उनके नाम एवं अन्य जानकारी को 48 घंटे के अंदर दें।
वहीं दूसरी ओर कोंटा विधानसभा से पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने भी नक्सलियों के आरोप का समर्थन करते हुए पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने जिन दो लोगों को नक्सली बताकर मारा है, वे लोग ग्रामीण थे, उनके पास आधार कार्ड भी है। बाजार में दुकान लगाते थे। पुलिस उन्हें गांव से उठाकर ले गई और जंगल में ले जाकर गोली मार दी।