नरेंद्र सिंह तोमर की राजनीति में निस्वार्थ भाव की छवि के चलते ही उन्हें बनाया अध्यक्ष
भोपाल
कुशल प्रबंधक और राजनीति के हर दौर के अनुभवी नेता नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने यह साफ कर दिया है कि वह विधानसभा की माननीय परम्पराओं को मजबूती के साथ बनाए रखने का काम करेगी। तोमर का राजनीति में अनुभव प्रदेश ही नहीं बल्कि केंद्र की राजनीति में भी लंबा रहा है। उनका चयन पार्टी ने बहुत सोच विचार करने के बाद किया है। नरेंद्र सिंह तोमर की राजनीति में निस्वार्थ भाव की छवि के चलते ही उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कांग्रेस भी भाजपा के इस निर्णय के साथ दिखाई दी।
नरेंद्र सिंह तोमर का राजनीति अनुभव बहुत गहरा हो चुका है। वे दो बार प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ संगठन को मजबूत किया, बल्कि पार्टी में अनुशासन लाने में वे सफल प्रदेश अध्यक्ष माने जाते हैं। दो बार केंद्रीय मंत्री भी रहे। यहां पर भी उन्होंने अपने कुशल प्रशासक की छवि और समाज के प्रति बेहतर काम करने की इच्छा शक्ति दिखाई। मध्य प्रदेश की राजनीति में ऐसे कम ही नेता होते हैं, जिन्हें उनके दल के अलावा विपक्षी दल भी आसानी से स्वीकार कर ले, तोमर ऐसे ही नेता बन कर पिछले दो दशकों में प्रदेश में उभर हैं। संवेदनशील और धीर-गंभीर नेताओं में शुमार नरेंद्र सिंह तोमर के विधानसभा अध्यक्ष बनने से न सिर्फ भाजपा के नेता खुश हैं, बल्कि कांग्रेस के नेताओं को भी उम्मीद हैं कि इस विधानसभा में उन्हें भी अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा। पुराने जितने भी विधायक हैं, वे तोमर की संवेदनशीलता से परिचित हैं, इसलिए वे भी जानते हैं कि दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए विधानसभा में उनके हितों की रक्षा करने में तोमर कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। इसी कारण उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कांग्रेस विधायक भी उनके समर्थन में नजर आए।
नई पीढ़ी से भी तालमेल
नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा और कांग्रेस के साथ ही नई एवं युवा पीढ़ी को भी बेहतर समझते हैं। इस बार विधानसभा में नए और युवा भी विधायक चुन कर पहुंचें है। उनमें युवा जोश और नया पन को लेकर कई बार उत्सुकता ज्यादा रहती है। भाजपा में भी उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए नये और युवाओं को कई पदों पर मौका दिया था,उनके साथ उनके बातचीत का लहजा सहज और सरल होता था, उन्हें आगे बढ़ाने में भी तोमर की अहम भूमिका रही। अब यही उम्मीद विधानसभा में भी उनसे की जा रही है। युवा पीढ़ी और नए विधायकों को भी वे अपनी कुशलता से उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करेंगे और उन्हें विधानसभा की परम्पराओं का अनुसरण और अनुशासन के दायरे में भी सहजता से रखेंगे।