बिहार जातीय गणना की लिस्ट में 11 और जातियां के नाम शामिल, देखें सभी
पटना
बिहार में अब 215 जातियों के आधार पर जाति आधारित गणना होगी। पहले चरण में 204 जातियों की सूची के आधार पर गणना की गई थी लेकिन दूसरे चरण की गणना शुरू होने के पहले कुछ जातियों ने सूची में नाम शामिल नहीं होने पर आपत्ति दर्ज कराई थी, इसलिए 11 और जातियों का नाम भी सूची में शामिल कर लिया गया है। नई सूची में जिन जातियों को शामिल किया गया है, उनमें बंगाली, खत्री, धरामी, सुतिहर, नवेसूद, भूमिज, माड़वाडी, बहेलिया, रस्तोगी और केवानी दर्जी (हिंदू) उप नाम श्रीवास्तव, या लाला या लाल शामिल हैं।
जातीय गणना में प्रत्येक जाति का कोड भी निर्धारित है। दूसरे चरण की गणना के दौरान अगर सूची से अलग कोई जाति नाम शामिल होने का दावा करती है तो ऐसी स्थिति में संबंधित अंचलाधिकारी की रिपोर्ट पर उसे शामिल किया जा सकता है। इसलिए नई सूची के 216 नंबर कॉलम में अन्य जातियां अंकित की गई हैं।
इन जातियों के आधार पर हो रही है जातीय गणना-
अगरिया, अघोरी, अदरखी, अवदल, अमात, अवध बनिया, असुर, इदरिसी या दर्जी (मुस्लिम) ईटफरोश, ईसाई धर्मावलंबी (हरिजन) ईसाई धर्मावलंबी (अन्य पिछड़ी जाति) उरांव, कपरिया, लोहार, करमाली, कलंदर, कवार, कसाब (कसाई), कागजी, कानू, कादर, कायस्थ, किन्नर(थर्ड जेंडर), किसान (नागेसिया), कुर्मी, कल्हैया, कुशवाहा (कोईरी), केवट, केवर्त, कोछ, कोरा, मुडी कोरा, कोरकू, कोरवा, कोल, कोस्ता, कौरियार, कंजर, खडिया, खटवा, खटिक, खतौरी, खरवार, खरिया, ढेलकी खड़िया, दूध खड़िया, हिल, खेलटा, खोंड, खंगर, गद्दी, गुलगुलिया, गोड़ी (छावी), गोंड , गोराइत, गोस्वामी (संन्यासी, अतिथ गोसाई), गंगई (गणेश), गंगोता, गंधर्व, घटवार, घांसी, चनउ, चपोता, चंद्रवंशी (कहार, कमकर), मोची, रविदास, चर्मकार, चांय, चीक (मुस्लिम), चीक बराइक, चूड़ीहार (मुस्लिम), चेरो, चौपाल, छीपी, जट (हिंदू) जट (मुस्लिम) जदुपतिया, जागा, जोगी, टिकुलहार , ठकुराई (मुस्लिम) डफाली (मुस्लिम), डोम, ढेकारू, तमरिया तिली, तियर, तुरहा , तुरी, तेली, थारू, दवगर, दांगी, दुसाध, देवहार, दोनवार, धनवार, धानुक, धामिन, धीमर, धुनिया (मुस्लिम) धोबी, धोबी (मुस्लिम) नट, नट (मुस्लिम) नाई, नागर, नागशुद्र, नालबंद (मुस्लिम) नोनिया , पटवा, पठान(खान), पमरिया, परथा, परहया, पहिया, प्रजापति (कुम्हार), प्रधान, पान, पांडी, पाल (गडेरी) पासी, पिनगनिया, पैरधा, बक्खो (मुस्लिम), बठुडी, बढई बनजारा , बनिया , बरई (चौरसिया), बागदी, बारी, ब्राह्मण, बिंझिया, बिंद, बिरहोर, बेगा, बेदिया, बेलदार, बौरी, भठियारा (मुस्लिम) भाट,(हिंदू) भाट (मुस्लिम) भार, भास्कर, भुइया , भूमिहार, भोगता, मझवार, मडरिया (मुस्लिम) मदार, मदारी (मुस्लिम) मल्लाह, मलार, मलिक (मुस्लिम), मारकंडे, माल पहरिया, माहली, माली (मालाकार) मांगर, मुकेरी (मुस्लिम), मूंडा, मुसहर, मिरियासीन (मुस्लिम) मेहतर, मोमिन (मुस्लिम) गोरशिकार (मुस्लिम) गारियारी, मौलिक, यादव, रजवार, राईन या कुंजरा (मुस्लिम), राजधोबी, राजपूत, राजभर, राजबंशी, रौतिया, रंगरेज, रंगवा, लहेड़ी, लालबेगी, लोहारा, वनपर, शिवहरी, शेख, शेरशाहबादी (मुस्लिम), साई, सामरी वैश्य, सावर, सिंदुरिया, सुकियार, सुरजापुरी मुस्लिम, सूत्राधार, रौकलगर, सैंथवार, सैयद, सोनार, सोयर, सोरिया पहाडिया, सौटा, संतराश, संथाल, हरि (मेहतर, भंगी) हलालखोर, हलुवाई, हो, गोलवारा, बंगाली, दर्जी (हिंदू उप नाम श्रीवास्तव, लाला, लाल) खत्री, धरामी, सूतिहर, नवेसूद, भूमिज, माड़वाड़ी, बहेलिया, रस्तोगी, केवानी और अन्य ।
दोहरा नाम एक जगह से हटेगा
जाति आधारित गणना के दूसरे चरण में दूसरे प्रदेश में नौकरी व व्यवसाय करने वाले लोगों की भी जानकारी इकट्ठा की जाएगी। पहले चरण में जिन लोगों ने प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर नाम दर्ज करा रखा है। दूसरे चरण में ऐसे सभी लोग पकड़ में आ जाएंगे। ऐसे लोगों को केवल एक जगह पर ही जाति आधारित गणना की सूची में शामिल किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि दूसरे चरण के लिए जो एप तैयार की गई है उसमें नये सॉफ्टवेयर के जरिए दो जगहों पर नाम दर्ज कराए लोगों की पहचान की जा सकेगी। 6 जिलों में मोबाइल एप के जरिए जाति आधारित गणना का पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है।
एक से 30 अप्रैल तक होने वाली जाति आधारित गणना के दूसरे चरण में प्रदेश से बाहर रहने वालों का भी डाटा बेस तैयार किया जाना है। इससे पता चल जाएगा कि प्रदेश में कितने ऐसे लोग हैं, जो पलायन किए हैं। बिहार के रहने वाले कितने लोग किन राज्यों में काम कर रहे हैं। यह डाटा उनके परिवारों द्वारा दी गई जानकारी और मोबाइल से उनसे संपर्क करने के आधार पर तैयार किया जाना है।
दूसरे चरण के डाटा को पांच स्तर से सत्यापन किया जाएगा। प्रगणक की ओर से मोबाइल एप पर गणना की रिपोर्ट करने के बाद पर्यवेक्षक सबसे पहले सत्यापन करेंगे। इसके बाद डाटा को बीडीओ देखेंगे, उसके बाद अनुमंडल पदाधिकारी सत्यापन करेंगे। फिर डीएम स्तर से भी सत्यापन कर डाटा को सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग के स्तर से डाटा को जारी किया जाएगा।