यूएन में कुरान जलाए जाने पर एकजुट हुए मुस्लिम देश, जर्मनी-फ्रांस ने दिए तीखे जवाब
नई दिल्ली
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में कुरान जलाने के मामले को लेकर पाकिस्तान ने एक प्रस्ताव पेश किया. प्रस्ताव पर बहस के दौरान इस्लामिक देश और पश्चिमी देश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर आमने-सामने आ गए. ईरान, पाकिस्तान, सऊदी अरब सहित कई मुस्लिम देशों ने कहा कि यह घटना धार्मिक नफरत को बढ़ाने का काम करती है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसी घटनाओं को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता. वहीं, पश्चिमी देशों ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब कभी-कभी असहनीय विचारों को सहना भी होता है.
प्रस्ताव पर बहस के दौरान मुस्लिम देशों ने स्वीडन में कुरान जलाने की घटना को इस्लामोफोबिया से प्रेरित कृत्य करार देते हुए जवाबदेही तय करने की मांग की.
पिछले महीने स्वीडन की स्टॉकहोम सेंट्रल मस्जिद के सामने एक शख्स ने लोगों की मौजूदगी में कुरान की एक प्रति को पैरों से कुचलकर उसे आग के हवाले कर दिया था. इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद से ही मुस्लिम देश भड़के हुए हैं.
प्रस्ताव पेश कर पाकिस्तान ने UNHRC से की ये मांग
इराक, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब सहित कई मुस्लिम देशों ने स्वीडन के राजदूतों को तलब कर उनसे अपना विरोध जताया था. पाकिस्तान ने भी इस घटना पर कड़ा विरोध जताया था और मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान ने एक प्रस्ताव पेश यूएन मानवाधिकार परिषद से मांग की कि इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट पेश की जाए.
प्रस्ताव में देशों से अपने कानूनों की समीक्षा करने और उन कमियों को दूर करने का आह्वान किया गया जो धार्मिक नफरत फैलाने वालों को रोकने मे मुश्किलें पैदा करती हैं.
प्रस्ताव पर बहस के दौरान कुरान जलाने के मुद्दे को लेकर मुस्लिम देशों और पश्चिमी देशों के बीच मतभेद साफ नजर आए. पश्चिमी देश इस बात से चिंतित दिखे कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अधिकारों की सुरक्षा के रास्ते में काफी चुनौतियां हैं.
पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो क्या बोले?
बहस के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने वीडियो के माध्यम से कहा कि 'पवित्र कुरान को जलाने की घटना धार्मिक भावनाओं को भड़काना है.'
बिलावल ने कहा, 'हमें देखना चाहिए कि आखिर यह है क्या…धर्म के प्रति नफरत, भेदभाव और हिंसा भड़काने की कोशिश.' बिलावल ने कहा कि यह घटना सरकार की मंजूरी के बाद हुई और जलाने वाले को यह पता था कि उसे किसी तरह की सजा नहीं दी जाएगी.
ईरान, सऊदी अरब और इंडोनेशिया के मंत्रियों ने बिलावल भुट्टो की बातों का समर्थन किया. इंडोनेशिया के विदेश मंत्री रेटनो मार्सुडी ने कहा कि यह घटना इस्लामोफोबिया से प्रेरित है. उन्होंने कहा, 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करना बंद करें. अगर आप इस मुद्दे पर चुप हैं तो इसका अर्थ है कि आप भी इसमें मिले हुए हैं.'
प्रस्ताव पर बहस के दौरान सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल ने कहा, 'सऊदी अरब की सरकार बातचीत, सहिष्णुता और सम्मान के मूल्यों को मजबूत करने और नफरत और उग्रवाद फैलाने वाली हर चीज को खारिज करने की जरूरत पर जोर देती है.'
उन्होंने आगे कहा, 'हम चरमपंथियों के पवित्र कुरान की प्रतियां जलाने की कड़ी निंदा करते हैं. इन निंदनीय कृत्यों को किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि ये घटनाएं नफरत, और नस्लवाद को उकसाती हैं. ऐसी घटनाएं सीधे तौर पर सहिष्णुता, संयम को बढ़ावा देने और चरमपंथ को रोकने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को कमजोर करती हैं.'
पश्चिमी देश क्या बोले?
प्रस्ताव पर बहस के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर पश्चिमी देशों की राय इस्लामिक देशों से अलग दिखी. जर्मनी की राजदूत कैथरीना स्टैश ने कुरान में आग लगाने को 'भयंकर उकसावे की कार्रवाई' बताकर उसकी निंदा की लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब कभी-कभी ऐसे विचारों को भी सहना होता है जो लगभग असहनीय लग सकती हैं.
वहीं फ्रांस के राजदूत ने कहा कि मानवाधिकार लोगों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं न कि धर्मों और उनके प्रतीकों के रक्षा के लिए.
प्रस्ताव पर असहमति के कारण मंगलवार को उसे पास नहीं कराया जा सका. प्रस्ताव पर अब मतदान होगा और कहा जा रहा है कि प्रस्ताव निश्चित रूप से पारित हो जाएगा क्योंकि 47 सदस्य देशों वाले यूएन मानवाधिकार परिषद में 19 देश इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य है. साथ ही सदस्य देश चीन के अलावा उन्हें कुछ और गैर-मुस्लिम देशों का समर्थन हासिल है.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा कि मुसलमानों के साथ-साथ दूसरे धर्मों या अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काने वाले कृत्य अपमानजनक, गैरजिम्मेदार और गलत हैं.