उत्तरप्रदेशराज्य

Mukhtar Ansari को गैंगस्टर केस 10 साल की सजा, 5 लाख का जुर्माना भी लगाया

गाजीपुर

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है. साथ ही उस पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है. वहीं, मुख्तार के सहयोगी सोनू यादव को 5 साल की सजा मिली है. सोनू पर भी कोर्ट ने 2 लाख का जुर्माना ठोका है.

बता दें की एमपी-एमएलए कोर्ट के जज अरविंद मिश्र की अदालत ने गैंगस्टर मामले में अंसारी को कल ही दोषी करार दिया था. आज अदालत ने सजा का ऐलान किया है. सजा को लेकर मुख्तार ने मायूसी से कहा कि हुजूर (जज) इस मामले से मेरा कोई सरोकार नहीं है, मैं तो 2005 से जेल में बंद हूं.

मुख्तार के वकील लियाकत ने कहा केस मेंटेनेबल नहीं है, हम हाई कोर्ट में अपील करेंगे और उम्मीद है कि हमें मिलेगा न्याय.

बता दें कि साल 2010 में करंडा थाने में दो मामलों में गैंग चार्ट बनाए जाने के बाद लगाए गए गैंगस्टर एक्ट के मामले में भी दोषी करार दे दिए गए हैं. जबकि मूल मामले में मुख्तार अंसारी बरी हो चुके हैं. ऐसे में क्या कारण है कि मूल मामले में बरी हो जाने के बाद भी गैंगस्टर एक्ट मैं मुख्तार अंसारी को सजा दी जा रही है. इस बात को लेकर गाजीपुर के एमपी एमएलए कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने बताया था कि मुख्तार अंसारी को गाजीपुर कोर्ट के द्वारा तीसरी सजा सुनाई जाएगी, जिसमें अधिकतम सजा 10 साल की हो सकती है.

वहीं मूल मामले में बरी होने और फिर गैंगस्टर एक्ट के मामले में दोषी होने के मामले पर शासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव ने बताया था कि गैंगस्टर का प्राविधान जो किया गया है. वह उस समय तक जो भी धारा है और अपराध के लिए अभियुक्त का ट्रायल होता था वह गवाहों के पक्ष द्रोही होने के कारण से अभियुक्त के भय के कारण से उन मामलों में बरी हो जाते थे.

अपराधियों के लिए किया गया था गैंगस्टर एक्ट का प्रावधान

गैंगस्टर एक्ट का प्रावधान इसीलिए लाया गया था की वास्तव में जो लोग अपराधी हैं और जो लोग गैंग का संचालन करते हैं और उसके प्रभाव से समाज में दहशत फैलता हैं. ऐसे लोगों के विरुद्ध मजबूत कार्रवाई की जा सके. इसलिए ही गैंगस्टर एक्ट का प्रावधान किया गया था. उसमें गवाहों के पक्षद्रोही होने के कारण से अभियुक्तों को लाभ मिल जाता था लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि गवाह किस कारण से पक्ष द्रोही हुए. यदि अभियोजन यह सिद्ध कर देता है की अभियुक्त के डर के वजह से गवाह पक्षद्रोही हुआ है तो इस कारण इन्हें सजा हो सकती है.

 

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