भोपालमध्यप्रदेश

बेटी सृष्टि को बार-बार पुकार कर मां हो रही बेहोश, अब तक 28 फीट खुदाई कर सकी रेस्क्यू टीम

सीहोर  
सीहोर जिला मुख्यालय के पास ग्राम मुंगावली के खुले बोर में गिरी ढाई साल की मासूम सृष्टि की मां रानी कुशवाह बार-बार बेटी को पुकार-पुकार कर बेहोश हो रही है। वहीं पथरीली जमीन पर जिला प्रशासन अब तक 28 फीट खुदाई कर सका है। बता दे पोकलेन मशीन मशीनों की संख्या भी बढ़ा दी गई थी, लेकिन वाइब्रेशन से सृष्टि के धंसने के कारण काम को रोकना पड़ा। सीहोर के ग्राम मुंगावली में दोपहर 1 बजे ढाई वर्षीय सृष्टि कुशवाह अपने पिता राहुल पुष्पा के साथ गांव के खेत पर गई हुई थी। खेलने के दौरान वे खुले बोरवेल में गिर गई। बच्ची 50 फीट पर जाकर फंसी हुई है। इधर घटना की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन अमला लगातार रेस्क्यू कार्य कर रहा है। एनडीआरएफ और एसजीआरएफ की टीम लोकल प्रशासन के साथ रेस्क्यू में जुटा हुआ है। पत्थरों के कारण अब तक 28 फीट खुदाई ही हो पाई है।

मां ने कहा मालूम नहीं था वहां बोर है
बोरवेल में गिरी ढाई वर्षीय मासूम की मां रानी पुष्पा ने मीडिया से चर्चा में बताया कि हमें पता नहीं था कि यहां पर बोर है। बच्ची तो घर के बाहर खेल रही थी अचानक से बोर के गड्ढे में जा गिरी। बच्चे के गिरने के बाद पता चला है कि यहां बोर का खुला हुआ गड्ढा है। भगवान से प्रार्थना है कि मेरी बच्ची सकुशल बाहर निकले।

रेस्क्यू कार्य पर मुख्यमंत्री शिवराज की नजर
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सीहोर के ग्राम मुंगावली में मासूम बेटी के बोरवेल में गिरने की दुखद सूचना प्राप्त हुई, एसडीआरएफ की टीम तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गई और बेटी को बोरवेल से निकालने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है। मैंने स्थानीय प्रशासन को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये हैं। मैं भी सतत प्रशासन के संपर्क में हूं। रेस्क्यू टीम बच्ची को सुरक्षित बचाने के लिए प्रयासरत है। बेटी की कुशलता की प्रार्थना करता हूं।

सकरा टनल बनाने का प्रयास
मंगलवार को 300 फुट बॉरवेल में गिरी सृष्टि का 35 फीट की गहराई में फंसे होने का अनुमान था, लेकिन रेस्क्यू के दौरान गहराई और बढ़ गई। पास में कच्चा कुंआ होने का फायदा शायद भूगर्भ में मिट्टी और पत्थर के परतों को समझने में मदद करें। बताया जा रहा है कि 20 फीट मिट्टी, 5 फीट पत्थर, मिक्स बजरी, कच्ची या कुटकी पत्थर और 60 फीट गहरे इस कुएं में फिर उससे आगे कठोर काला पत्थर है। इसी कठोर पत्थर की पोकलेन के असफल प्रयास के बाद इलेक्ट्रिक (जनरेटर) ऑपरेटेड कंप्रेशर ड्रिल मशीन से रात दस बजे खुदाई शुरू हुई। इसकी विशेषता यह है कि इससे पोकलेन की तुलना में बोरवेल के आसपास कंपन कम होगा और सकरा टनल बनाने में सफलता मिलेगी।

प्रिंस से लेकर सृष्टि तक कुछ नहीं बदला
रतलाम, विदिशा, छतरपुर, बैतूल, भोपाल और कई जिलों कुछ जगह जिला और स्थानीय प्रशासन तो कहीं कहीं सेना भी बुलाई गई, लेकिन बोरवेल में गिरने वाले अधिकतर बच्चे प्रिंस जैसे खुशनसीब नही निकले। साल भर पहले 10 जून को छत्तीसगढ के जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा क्षेत्र के पिहारिद गांव में 10 साल का राहुल साहू बोरवेल में गिर गया था। 80 फीट गहराई वाले बोरवेल के 65 फीट में राहुल फंसा हुआ था। जिसे रस्सी के सहारे केला, पानी तक दिया गया। कैमरे के जरिए उससे बातें कर हौसला बनाए रखा। अंततः देश के इतिहास में अब तक सबसे लंबे चले इस तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन मे 104 घंटे बाद राहुल को सकुशल निकाला गया था।

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