देख-रेख के आभाव में करोड़ों के मॉड्यूलर टॉयलेट हुए कबाड़
भोपाल
नगर निगम ने शहर को ओडीएफ बनाने के लिए पांच साल पहल मॉड्यूलर टॉयलेट करोड़ों रुपए खर्च कर खरीदे थे। लेकिन देख-रेख न होने के कारण अब यह सिर्फ कबाड़ बनकर रह गए हैं। वहीं जिम्मेदार अफसर भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं इनको रखने का उद्देश्य भी पूरा नहीं हुआ।
नगर निगम ने शहर को ओडीएफ बनाने के लिए लगभग पांच साल पहले 1938 मॉड्यूलर टॉयलेट 6.32 करोड़ रुपए में खरीदे थे। जो देखरेख के अभाव में अब कबाड़ हो चुके हैं। इनकी तरफ निगम के अंतर्गत आने वाले स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के जिम्मेदार अफसर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसके चलते इनकी हालत बद से बदतर हो गई है। यह न सिर्फ जगही-जगह से टूटे चुके हैं, बल्कि इनमें लगी नल की टोटियां गायब हो चुकी है। पानी रहता नहीं है। कुल मिलाकर जिस उद्देश्य से इनको खरीदा गया था। यह उस काम में नहीं आ रहे। उलट जहां यह रखे हुए हैं वहां गंदगी का आंबर लग रहा है। शहर की सौंदर्यता पर यह एक तरह का दाग बन गए हैं। वहीं जिम्मेदार अफसरों का तर्क है कि गाइड लाइन के अनुसार काम किया जाता है। यदि गाइडलाइन को मॉड्यूल टॉयलेट को लेकर कोई बिंदु होगा तभी इनको उद्धार होगा।
चेतक ब्रिज चौराहे पर रखे टायलेट हुए जर्जर
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मॉड्यूलर टॉयलेट रखे गए थे। चेतक ब्रिज चौराहे के पास आधा दर्जन से अधिक मॉड्यूलर टॉयलेट लंबे समय से रखे हुए हैं। जो देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुके हैं। इनमें से अधिकांश पूरी तरह टूट चुके हैं। इधर रखे टॉयलेट से नल की टोटियां गायब हो चुकी हैं। पानी का नामोनिशान नहीं है।
गाइड लाइन की बात कह कर झाड़ रहे पल्ला
एसबीएम के चीफ सिटी इंजीनियर आरके सक्सेना गाइड लाइन की बात कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। उनका कहना है कि स्वच्छता सर्वेक्षण की गाइड लाइन आती है। गाइड लाइन के अनुसार स्वच्छता संबंधित काम किये जाते हैं। टूट-फूट चूके मॉड्यूलर टॉयलेट को दुरुस्त करवाया जाएगा।