राजनीति

राजस्थान में मोदी बनाम गहलोत की लड़ाई को राहुल गांधी के आने से नुकसान

नई दिल्ली
राजस्थान की लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए करीब करीब एक जैसी ही लगती रही है. और ऐसा समझने के पीछे दोनों ही दलों का अंदरूनी झगड़ा है. जैसे बीजेपी नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से परेशान रहा है, बिलकुल वैसे ही कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की खुलेआम चल रही लड़ाई से. हालांकि, वोटिंग की तारीख नजदीक आते आते दोनों ही तरफ से एकजुट होने का संदेश देने की कोशिश हुई है.

जैसे वसुंधरा राजे को पहले दरकिनार करने की कोशिश हुई, लेकिन बाद में उनका सम्मान और दिखावे के लिए ही बीजेपी की तरफ से ख्याल रखे जाने का संदेश दिया गया, सचिन पायलट को भी अशोक गहलोत के साथ कुछ पोस्टर में देखा जाने लगा. बीजेपी खेमे से एक खबर ये भी आयी राजस्थान बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को वसुंधरा राजे के सम्मान में कोई कमी नहीं रखनी है, लेकिन उनसे निर्देश लेने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है. काफी दिनों से राहुल गांधी के राजस्थान से दूरी बना लेने की भी खासी चर्चा रही. ऐसा होने के पीछे अशोक गहलोत से उनकी नाराजगी मानी जा रही थी. उम्मीदवारों के टिकट बंटवारे के तौर तरीके पर भी कांग्रेस आलाकमान खफा बताया जा रहा था – बहरहाल, मतदान से ठीक पहले राहुल गांधी राजस्थान पहुंच गये. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को वोट डाले जाने हैं.

19 नवंबर को राजस्थान के अलग अलग इलाकों में राहुल गांधी के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी भी रही. प्रधानमंत्री मोदी का भाषण जहां राजस्थान की कांग्रेस सरकार के कामकाज और अशोक गहलोत पर फोकस दिखा, राहुल गांधी का पूरा जोर जातिगत जनगणना की मांग के साथ ओबीसी वोटर पर केंद्रित दिखा. वैसे वो अपना फेवरेट टॉपिक अडानी ग्रुप का कारोबार नहीं भूले. और प्रधानमंत्री मोदी को भारत माता की जय की जगह अडानी की जयजयकार की सलाह दे रहे थे.

राजस्थान का चुनावी चरम पर पहुंचने के पहले से ही बीजेपी की तरफ से उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड को मुद्दा बनाने की काफी कोशिश की गयी, लेकिन धीरे धीरे नेताओं के भाषण में दूसरे मुद्दों पर जोर देखा जाने लगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में भी लाल डायरी के बहाने भ्रष्टाचार का जिक्र सुनने को मिला. लेकिन राहुल गांधी शुरू से ही जिस मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उसी पर पूरी ताकत झोंक रहे हैं. राजस्थान चुनाव में भी राहुल गांधी का जोर जातिगत जनगणना पर देखने को मिला है, और ध्यान ओबीसी वोटर पर.

OBC के बहाने मोदी पर निशाना
राजस्थान की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही ने बराबर ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं. कांग्रेस ने 72 सीटों पर ओबीसी नेताओं को टिकट दिया है, जिनमें 34 जाट बिरादरी से आते हैं. बीजेपी ने 70 ओबीसी उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं, जिनमें 33 जाट बिरादरी से आते हैं. ये भी ध्यान देने वाली बात है कि राहुल गांधी जाटों का सीधे सीधे जिक्र नहीं कर रहे हैं, बल्कि सिर्फ ओबीसी समुदाय की बात कर रहे हैं. असल में राजस्थान में राजपूत और जाट दोनों ही ओबीसी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि राजपूतों का झुकाव अब भी बीजेपी के पास है, लेकिन जाट परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहे हैं. राहुल गांधी बार बार जोर देकर केंद्र के 90 सचिवों में से सिर्फ 3 ओबीसी का मुद्दा जरूर उठा रहे हैं.

ओबीसी के बहाने राहुल गांधी जातिगत जनगणना का मुद्दा भी उठा रहे हैं. वो अपनी मांग पर जोर दे रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार आते ही ऐसा करेंगे, ठीक वैसा ही केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद करेंगे – दूसरी तरफ, बीजेपी अभी ओबीसी सर्वे की तैयारी कर रही है. लेकिन ऐसा लगता है विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर ही बीजेपी फैसला लेगी.

और फिर राहुल गांधी अचानक प्रधानमंत्री मोदी के ओबीसी होने पर ही सवाल खड़ा कर देते हैं. असल में, बिहार में हुई जातिगत गणना की रिपोर्ट आने पर मोदी ने कहा था कि सबसे बड़ी जाति गरीब की है. अब राहुल गांधी पूछ रहे हैं कि अगर ओबीसी कोई जाति नहीं तो मोदी ओबीसी कैसे हो गये?

राजस्थान की एक चुनावी सभा में राहुल गांधी कहते हैं, 'जब लोगों को बांटने की बात आती है तो मोदी जातियों का सहारा लेते हैं… और जब लोगों को अधिकार और लाभ देने की बात आती है, तो दावा करते है कि भारत में गरीब

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