रायपुर
कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए। राज्यसभा में पेश/पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं। इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी जीवित है। महिलाओं को उनका हक देने केन्द्र सरकार लोकसभा के विशेष सत्र में विधेयक को प्रस्तुत करे। भाजपा का चरित्र महिला विरोधी है। अत: वह महिला विधेयक पारित कराएगी इसकी संभावना कम ही है। भाजपा हमेशा से ही महिलाओं के लिये दुर्भावना रखती है। भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस में जो महिलाओं को पदाधिकारी नहीं बनाया जाता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से आधी आबादी को उसका पूरा अधिकार देने की पक्षधर रही है। कांग्रेस की सरकारों ने समय-समय पर इस हेतु प्रभावी कदम भी उठाया है। सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका। अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों के प्रयास से ही आज देशभर में पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह 40 प्रतिशत के आसपास है। भाजपा महिलाओं को उनका हक देने विरोधी रही है। आज लोकसभा में भाजपा की मोदी सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल है। अत: भाजपा चाहे तो महिलाओं को उसका अधिकार अवश्य मिल जायेगा। कांग्रेस ने अपनी कार्यसमिति में भी महिला आरक्षण के लिये प्रस्ताव पारित किया है। वर्तमान केन्द्र सरकार महिला आरक्षण बिल नहीं पारित करेगी तो कांग्रेस की सरकार बनने के बाद महिलाओं को उनका अधिकार कांग्रेस देगी।