म्यांमार में सैन्य शासन ने चौथी बार बढ़ाया आपातकाल, आंग सान सू की को मिली माफी
-आपातकाल बढ़ाए जाने पर अमेरिका ने जताई नाराजगी
नाएप्यीडॉ
म्यामांर के सैन्य शासन ने देश में आपातकाल को चौथी बार फिर बढ़ा दिया है। अमेरिका ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए आरोप लगाया है कि म्यांमार में सैन्य शासन के दौरान पूरा देश हिंसा की चपेट में आ गया है। इस बीच म्यांमार की सेना ने जेल में बंद जन नेता आंग सान सू की को माफी देने का ऐलान किया है।
म्यांमार की सेना ने वर्ष 2021 में वहां की चुनी हुई सरकार को गिराकर देश में आपातकाल लागू कर दिया था। उस समय म्यांमार की सेना ने देश की चुनी हुई नेता आंग सान सू की और अन्य वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। 78 वर्षीय सू की को विभिन्न मामलों में 33 साल जेल की सजा सुनाई गई है। एक फरवरी, 2021 को सेना ने तख्तापलट कर देश में एक साल के लिए आपातकाल लागू किया था। अब चौथी बार फिर से छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। इस बीच सैन्य शासन ने जेल में बंद जन नेता आंक सान सू की को पांच मामलों में माफी देने का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि अन्य मामलों में जेल में बंद होने के कारण वे अभी रिहा नहीं हो सकतीं, किन्तु इसकी राह खुलती नजर आ रही है।
वर्ष 2021 में चुनी हुई सरकार गिराकर सैन्य शासन लागू करते ही म्यांमार में हिंसा की घटनाएं तेज हो गयी थीं। सैन्य शासन विरोधियों और सेना के बीच हुई भिड़ंत का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। इस हिंसा में सेना ने सैकड़ों एयर स्ट्राइक की हैं, हजारों घरों में आग लगा दी गई और करीब 16 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। अब चौथी बार आपातकाल की अवधि बढ़ाए जाने पर अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने म्यांमार सरकार के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अमेरिका सैन्य शासन द्वारा म्यांमार में आपातकाल बढ़ाए जाने को लेकर चिंता में है। सैन्य शासन ने देश को हिंसा और अस्थिरता में धकेल दिया है। अमेरिका का कहना है कि म्यांमार का मौजूदा शासन म्यांमार के लोगों के लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रहा है और म्यांमार का संकट बढ़ता ही जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र व सुरक्षा परिषद के नेताओं ने पाक में आत्मघाती हमले की निंदा की
संयुक्त राष्ट्र
सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र के नेताओं ने पाकिस्तान में जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में आत्मघाती विस्फोट की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया। घटना में 54 लोगों की जान चली गई थी। ध्रुवीकृत परिषद ने एकता दिखाते हुए सोमवार को एक प्रेस बयान जारी कर खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर में हुए “जघन्य और कायरतापूर्ण आत्मघाती आतंकवादी हमले” की कड़े शब्दों में निंदा की।
परिषद ने एक बयान में कहा, “सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आतंकवाद के इन निंदनीय कृत्यों के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।” महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और महासभा के अध्यक्ष सीसाबा कोरोसी ने भी हमले की निंदा की। कोरोसी ने कहा, “मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के संकट से निपटने और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के अपने प्रयासों को मजबूत करने का आग्रह करता हूं।”
महासचिव के प्रवक्ता फरहान हक ने कहा कि गुटेरेस “पाकिस्तानी अधिकारियों से जिम्मेदार लोगों को न्याय के दायरे में लाने का आह्वान करते हैं” और “आतंकवाद के सभी उदाहरणों और नागरिकों के खिलाफ जानबूझकर लक्षित हमलों की निंदा करते हैं।” खुरासान प्रांत के आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने हमले की जिम्मेदारी ली है। जेयूएल-एफ प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट गठबंधन का सदस्य है।