चातुर्मास में मांगलिक कार्य वर्जित, अब करना पड़ेगा 5 माह का इंतजार
भोपाल
देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास में मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं, लेकिन इस बार चातुर्मास के बीच एक अधिकमास भी रहेगा। ऐसे में पांच माह तक विवाह, गृह प्रवेश मुंडन समेत बड़े मांगलिक कार्यों पर विराम लगा रहेगा।
देवउठनी तक क्षीर सागर में विश्राम करते भगवान विष्णु
देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं और सृष्टि का कार्यभार भगवान भोलेनाथ संभालते हैं। भगवान के विश्राम के कारण चातुर्मास में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार, प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा आदि बड़े मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। चातुर्मास का समय साधना और आराधना के लिए विशेष माना गया है। इसलिए चातुर्मास में अनेक साधु संत, दंडी, संन्यासी एक ही स्थान पर रहकर साधना करते हैं। वहीं 24 नवंबर से विवाह मुहूर्ताे की शुरूआत होगी। नवंबर में कुल चार दिन और दिसंबर माह में दस दिन विवाह के शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस तरह नवंबर, दिसंबर में कुल 14 दिन मुहूर्त रहेंगे।
आज और कल होंगी शादियां
देवशयनी एकादशी के मुहूर्त पर भी जमकर शादियां होती हैं, ऐसे में इस शुभ मुहूर्त पर शहर में तकरीबन 200 शादियां होने की उम्मीद है। पं. विष्णु राजौरिया के अनुसार भड़लिया नवमी का मुहूर्त मांगलिक कार्यों के लिए विशेष होता है। मंगलवार को भड़लिया नवमी पर 9 रेखा का मुहूर्त रहेगा। इसके बाद 28 जून को भी शादियां होंगी, वहीं 29 जून को देवशयनी एकादशी से मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे।
अभा भिक्षु महासंघ का धरना जारी
भोपाल। तुलसी नगर में स्थित डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर जयंती मैदान में अभा भिक्षु महासंघ मप्र के तत्वावधान में दिया जा रहा अनिश्चितकालीन धरना सोमवार को सातवें दिन भी जारी रहा। संघ अपनी 19 मांगों को लेकर धरना दे रहा है इसमें बौद्ध मैरिज एक्ट बनाने की मांग भी शामिल है। धरना स्थल पर बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया के प्रतिनिधिमंडल ने पहुंच कर चर्चा की ओर उन्हें सहयोग का आश्वासन दिया।