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भारत के स्टार्टअप ईको सिस्टम बढ़ाने में मध्यप्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका

एक्सेलरेटिंग स्टार्टअप ईको सिस्टम : शासकीय सहायता से मध्यप्रदेश का सशक्तिकरण कार्यशाला में वक्ताओं की राय

भोपाल

भारत का स्टार्टअप ईको सिस्टम तेजी से बढ़ रहा है एवं अब तक 99,380 स्टार्टअप को मान्यता मिल चुकी है। भारत के सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में मध्यप्रदेश की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है। यह राय वक्ताओं की थी। होटल ताज लेकफ्रंट में मंगलवार को राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए "एक्सेलरेटिंग स्टार्टअप ईको सिस्टम : शासकीय सहायता के माध्यम से मध्यप्रदेश का सशक्तिकरण'' पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई। कार्यशाला में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि राज्य सरकार के विभाग एवं अधिकारीगण मध्यप्रदेश में स्टार्टअप विकास को प्रभावी ढंग से सपोर्ट कर उसे प्रोत्साहित करे।

एमएसएमई विभाग के सचिव पी. नरहरी ने स्टार्टअप विकास को बढ़ावा देने में मध्यप्रदेश शासन और मध्यप्रदेश स्टार्टअप सेंटर की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने मध्यप्रदेश में स्टार्टअप्स को समर्थन देने वाली मौजूदा  नीतियों की जानकारी दी। नरहरि ने बताया कि मध्यप्रदेश में स्टार्टअप की संख्या वर्ष  2016 में केवल 7 थी, जो आज बढ़कर 3425 तक पहुँच चुकी है और सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि इसमें 1554 महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप शामिल हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में लगभग 60 से अधिक इनक्यूबेटर हैं। उन्होंने राज्य आधारित स्टार्टअप और इन्क्यूबेटरों के लिए उपलब्ध वित्तीय सहायता, भण्डार क्रय और सेवा उपार्जन नियमों  पर प्रकाश डाला। उन्होंने अधिकारियों से खरीद में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने और समर्थन करने का आग्रह किया।

 एक्सिलर वेंचर्स के अध्यक्ष और इंफोसिस के सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन ने  अनुकूल नीतियों और प्रावधानों के माध्यम से स्टार्टअप के लिए मध्यप्रदेश शासन के एमएसएमई विभाग द्वारा दी जाने वाली सहायता और समर्थन की सराहना की। उन्होंने उद्यमियों के लिए उपलब्ध अभूतपूर्व विकास के अवसरों के बारे में कहा कि  शासकीय योजनाओं, इन्क्यूबेशन और स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से  निवेशकों का एक नेटवर्क बनाने के महत्व पर जोर दिया। क्रिस ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), और फिनटेक तीन प्रमुख क्षेत्र हैं, जिनमें स्टार्टअप की संख्या बढ़ रही है।

क्रिस ने जोर दिया कि स्थानीय उद्यमियों के सहयोग के माध्यम से स्टार्टअप में निवेश की संस्कृति को विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने ग्रामीण उद्यमिता विकसित करने के लिए छह कदम बताए, जिसमे ग्रामीण उद्यमियों को बिजनेस प्लान उपलब्ध कराना, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन, संभावित उद्यमियों की पहचान करना, फंडिंग के अवसर उपलब्ध कराना और न्यूनतम 6 माह के लिए हैंड होल्डिंग सहायता प्रदान करना शामिल है।

सुनेहा नागपाल, वरिष्ठ प्रबंधक, स्टार्टअप इंडिया, डीपीआईआईटी ने सरकार और स्टार्टअप के बीच सहयोग के अवसरों की पहचान, इससे संबंधित शासकीय विभागों की समस्याओं, चुनौतियों और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के महत्व पर एक प्रस्तुतिकरण दिया।

प्रतिभागियों ने उद्यमिता और आर्थिक विकास के लाभों के बारे में सीखा और स्टार्टअप्स के सामने आने वाली विशिष्ट बाधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की।

 

Pradesh 24 News
       
   

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