नई दिल्ली.
रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये का नोट मार्केट से वापस लेने की घोषणा की है। इससे बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति में शॉर्ट टर्म में सरकार और कंपनियों के लिए बल्क बोरोइंग के रेट्स में कमी आएगी। रिजर्व बैंक के मुताबिक 31 मार्च, 2023 तक सर्कुलेशन में 2,000 रुपये के नोटों की वैल्यू 3.62 लाख करोड़ रुपये थी। जानकारों का कहना है कि इनमें से 50,000 करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक बैंकिंग सिस्टम में आ सकते हैं। बैंक मंगलवार यानी 23 मई से 2,000 रुपये के नोटों को जमा करने या बदलने की प्रोसेस शुरू करेंगे। इस तरह बैंक डिपॉजिट बढ़ने से लिक्विडिटी बढ़ेगी। इससे शॉर्ट टर्म में मनी मार्केट्स इंस्ट्रूमेंट्स पर यील्ड में कमी आएगी।
बैंकों के लिए डिपॉजिट्स का एक हिस्सा सॉवरेन डेट में डालना अनिवार्य है। इससे शॉर्ट टेन्योर वाले गवर्नमेंट बॉन्ड्स यील्ड्स में गिरावट दिख रही है। एक विदेशी बैंक के अधिकारी ने कहा कि सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉजिट्स में 15 बेसिस पॉइंट, टी-बिल यील्ड्स में 10 बेसिस पॉइंट और शॉर्ट टर्म गवर्नमेंट यील्ड्स में 5 से 7 बेसिस पॉइंट की कमी आने की संभावना है। सरकार ने जब 2016 में नोटबंदी की घोषणा की थी तो डिपॉजिट्स में तेजी आई थी। आरबीआई ने 2000 के नोटों को जमा करने या बदलवाने के लिए 30 सितंबर की डेडलाइन रखी है।
इकॉनमी पर नहीं होगा असर
इस बीच फाइनेंस मिनिस्ट्री का कहना है कि 2,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने के फैसले से मनी सप्लाई या फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस पर कोई असर नहीं होगा। अधिकारियों का कहना है कि 2000 रुपये का नोट 2016 की नोटबंदी के बाद आया था और इनमें से अधिकांश अब सर्कुलेशन में नहीं हैं। फाइनेंस सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन ने कहा कि इसका इकॉनमी पर कोई असर नहीं होगा। देश में पर्याप्त संख्या में छोटे मूल्य के नोट मौजूद हैं। इकनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी अजय सेठ ने कहा इकॉनमी में मनी सप्लाई पर कोई असर नहीं होगा।