लक्ष्मीनारायण सब्जी मंडी करोंद अब गुमठियों में तब्दील, शेड में अतिक्रमण
दस बाय दस की जगह की परमीशन दी गई है: मंडी सचिव आरके जैन
लक्ष्मीनारायण शर्मा सब्जी मंडी में भारी अव्यवस्थाएं व्याप्त हैं। जहां थोक व्यापारी परेशान हैं वहीं फुटकर विक्रेताओं की बल्ले-बल्ले हो रही है। लाखों रूपए की नीलामी राशि जमा कर थोक व्यापारियों ने दुकानें क्रय की हैं, लेकिन फुटकर विक्रेताओं को सिर्फ फूटकर विक्रेता के नाम पर लायसेंस जारी कर जिस जगह फुटकर विक्रय किया जाना चाहिए था, वहां पर गुमठियां तैयार कर थोक व्यापार प्रारंभ कर मंडी व्यवसाय को ठप्प किया जा रहा है। लक्ष्मीनारायण सब्जी मंडी अब गुमठियों और अतिक्रमण कारियों के कब्जे में आ गई हैं और शेड में दुकानें लगने के बजाए अतिक्रमण कर सब्जी बाजार लग रहा है। मंडी सचिव आरके जैन ने बताया कि मंडी परिसर में दस बाय दस की जगह की परमीशन दी गई है। इस पर वहां वे अपनी दस बाय दस की दुकान पक्की बना सकते हैं। दुकानें बन जाने के बाद कौन फुटकर व्यवसाय कर रहा है और कौन थोक व्यवसाई है पहचान करना मुश्किल है। वहीं फूटकर व्यापारियों की बल्ले-बल्ले हो रही है।
अतिक्रमणकारियों से पटी पड़ी है करोंद मंडी
सूत्रों का कहना है कि करोंद सब्जी मंडी में जगह-जगह फुटकर विक्रेताओं की रेहडिय़ां लगी हुई हैं और उन पर लाउडस्पीकर से सस्ते दामों में फल-फ्रूट बेचे जाते हैं। जबकि आने वाले लोगों को यह शोरगुल परेशान करता रहता है। लेकिन मंडी कर्मचारियों और अधिकारियों के कानों तक इनकी आवाज नहीं पहुंचती है।
साल 2017 में होना थे, लेकिन आज तक नहीं हुए चुनाव
भोपाल। किसानों को उपज का उचित दाम दिलाने व शासन की किसान हितैषी योजनाओं का लाभ मिल सके, इसके लिए सरकार द्वारा प्रदेश में मंडी समितियों की व्यवस्था बनाई गई है। लेकिन मंडी की इन समितियों का कार्यकाल समाप्त हुए करीब 5 साल से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन अब तक इनके निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इस मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने दावा किया है कि मंडियों में चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी जो कि विधानसभा निर्वाचन प्रक्रिया हो जाने के बाद भी अभी तक कोई योजना ही नहीं बनी और आम चुनाव अब सिरपर आ गए हैं। लेकिन मंडी समितियों के चुनाव की कोई रूपरेखा तैयार नहीं हुई है। मप्र में कृषि उपज मंडी का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद भी नए चुनाव नहीं करवाए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि वोटर लिस्ट बनाने की प्रकिया प्रारंभ कर दी गई है। दो सप्ताह में मंडी चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 23 अगस्त 2023 को निर्धारित की थी। बता दें कि याचिकाकर्ता मनीष शर्मा, नरसिंहपुर निवासी पवन कौरव, जबलपुर निवासी राजेश कुमार वर्मा सहित अन्य की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि मंडी चुनाव वर्ष 2012 में हुए थे।
प्रदेश की सबसे सुंदर मंडी थी करोंद स्थित लक्ष्मीनारायण शर्मा कृषि उपज मंडी
गुमठी और अतिक्रमण से अटी
10X10 की फुटकर विक्रेताओं के लिए आवंटित भू खंड पर बना दी गुमठियों की कतार
बगैर योजना के आवंटन पर थोक व्यवसाई लगा रहे सवालिया निशान
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प्रशासनिक अधिकारियों के हवाले मंडियां
मंडियों के चुनाव नहीं होने की स्थिति में इसका भार प्रशासनिक अधिकारियों के जिम्मे हो गया। जानकारी के अनुसार मंडी चुनाव के समय से अधिक होने के चलते कृषि उपज मंडियों में बनी समितियां 6 जनवरी 2019 को भंग हो गई है। वहीं 7 जनवरी 2019 से मंडियों का कार्यभार प्रशासनिक अधिकारियों के पास आ गया है। 2012 में मंडी चुनाव हुए थे। इस हिसाब से देखा जाए तो पांच साल बाद 2017 में चुनाव होने थे। इसमें मंडी समिति का कार्यकाल 6-6 माह की अवधि के लिए दो बार बढ़ा दिया गया था। कार्यकाल के एक साल बढऩे के बाद 2018 में मंडी चुनाव होने के कयास लगाए जा रहे थे। तय समय से अधिक होने के चलते 6 जनवरी 2019 को मंडियों में बनी समितियां भंग हो गई। वहीं मंडी का कार्यभार जब तक चुनाव नहीं होते है तब तक प्रशासनिक अधिकारियों के पास आ गया। अब उनकी निगरानी और देखरेख में ही मंडी से जुड़े निर्णय और कामकाज हो रहे हैं।
क्या है समिति का काम
मंडी में बनी समितियों का प्रमुख काम समिति की बैठक कर उचित निर्णय लेना है। इसी के साथ व्यापारियों के किसी तरह की गड़बड़ी करने की जानकारी सामने आती है तो उन पर कार्रवाई कराते हुए किसानों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संसाधन जुटाए जाना होता है। मंडी की व्यवस्था के अन्य काम भी समिति से जुड़े हुए है। चार साल से चुनाव नहीं होने के कारण इन पदों पर प्रशासक बैठे हैं। इससे कई आवश्यक कार्यों को पूरा करने में कठिनाई हो रही है। पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब इन संस्थाओं के चुनाव होने की उम्मीद की जा रही थी। लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत संस्थाओं में चुनाव होना आवश्यक होता है। इसमें कई संस्थाएं पीछे हैं। इनमें कृषि उपज मंडी भी प्रमुख है। लेकिन पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के चार साल बाद भी नई बॉडी का निर्वाचन नहीं हुआ है।
इनका कहना है
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई मंडी प्रशासन द्वारा की जाती है, प्रतिदिन अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाती है, लेकिन अतिक्रमणकारी निरंतर अतिक्रमण कर लेते हैं। बार-बार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाती है। मंडी परिसर में दस बाय दस की जगह की परमीशन दी गई है। इस पर वहां वे अपनी दस बाय दस की दुकान पक्की बना सकते हैं।
आरके जैन, सचिव, लक्ष्मीनारायण शर्मा, कृषि उपज मंडी समिति करोंद, भोपाल