रायगढ़
केलो बांध का निर्माण इस उद्देश्य से किया गया था कि बारिश के प्राकृतिक जल को यहां स्टोर किया जा सके और आवश्यकतानुसार नहरों के माध्यम से गांवों तक पहुंचाया जा सके। केलो बांध में आज जिले के दूसरे बांधों के मुकाबले सर्वाधिक 75 फीसदी पानी भरा है किंतु नहरों का काम पूरा नहीं हो पाने के कारण बहुत से गांवों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। सिंचाई विभाग से मिले आंकड़ों के आधार पर जिले के बांधों को देखे तो केडार बांध में 54.47 प्रतिशत, पुटका में 52.35 प्रतिशत और सारंगढ़ के किंकारी में 25.80 प्रतिशत और केलो बांध में 75.29 प्रतिशत पानी भरा हुआ है। इस लिहाज से अभी जिले में सबसे अधिक पानी केलो बांध में ही भंडारित है।
ईई केलो परियोजना श्री पी.आर.फुलेकर ने बताया कि केलो बांध की जल भंडारण क्षमता 61.95 मिलियन क्यूबिक मीटर है। वर्तमान में केलो में 46.64 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है। उन्होंने बताया कि केलो परियोजना में नहरों का काम 80 फीसदी हो चुका है। लेकिन 20 प्रतिशत नहरों का काम शेष होने के कारण कई गांवों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इनमें कई छोटे-छोटे पैच के काम शेष है। परियोजना में अब युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है जिससे नहर निर्माण का कार्य जल्द पूरा हो और लाभान्वित होने वाले गांवों तक पानी पहुंचे।
गौरतलब है कि परियोजना में कुल 313 किमी लंबाई के नहर बनाने है। जिसमें से 248 कि.मी. लंबाई की नहरें बनाई जा चुकी हैं। इसमें 1 मुख्य नहर के साथ 1 शाखा नहर, 7 वितरक नहर और 91 लघु नहरों का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें मुख्य नहर के 28.31 किमी और झारमुड़ा के 16.11 किमी शाखा नहर का काम पूरा किया जा चुका है। वहीं 68.60 किमी वितरक नहर और 135.50 किमी लघु नहरों का काम पूरा हो चुका है। शेष कार्य भी पूरा किया जा रहा है। परियोजना को दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना के पूरे होने से 175 गांवों के 22 हजार 810 हेक्टेयर को सिंचाई सुविधा मिलेगी। जिसमें रायगढ़ जिले के 167 गांवों की 21 हजार 596 हेक्टेयर और सक्ती जिले के 8 गांवों की 1 हजार 214 हेक्टेयर जमीन शामिल है। केलो वृहत परियोजना की शुरूआत 2009 में हुई थी। इसकी लागत 891 करोड़ रुपए है। इसमें केलो डैम के निर्माण के साथ ही मुख्य नहर, शाखा और वितरक नहरों का निर्माण शामिल है।