छत्तीसगढराज्य

इंदिरा बैंक के खातेदारों की जमा पूंजी का पूर्ण भुगतान हो : कन्हैया

रायपुर

इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सहकारी बैंक मर्यादित के खातेदारों का पूर्ण भुगतान आज तक नहीं हुआ है। 17 वर्षों में इंदिरा बैंक के घोटालेबाजों और संरक्षणकर्ताओ पर कार्रवाई भी नहीं हुई। न्यायालय के आदेश से पुन: जांच प्रारंभ होने से खातेदारों में न्याय की आस जागी है।

इंदिरा बैंक संघर्ष समिति के संयोजक कन्हैया अग्रवाल, शैलेश श्रीवास्तव, शिव सोनी, शंकर सोनकर और सुरेश बाफना ने उक्त आशय का बयान जारी करते हुए कहा कि न्यायालय के आदेश पर पुन: जांच प्रारंभ करने का हम स्वागत करते हैं परंतु जांच 17 वर्षों की तरह ना हो इसके लिए समय सीमा का निर्धारण होना चाहिए। ज्ञात हो कि 02 अगस्त 2006 को इंदिरा बैंक में लेनदेन बंद हुआ बैंक के संचालकों – मैनेजर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई।  04 जून 2007 को न्यायालय ने पुलिस को मैनेजर के नारको टेस्ट की अनुमति दी थी, तत्कालीन मैनेजर उमेश सिन्हा का नारको टेस्ट हुआ रिपोर्ट आई पर न्यायालय के पटल पर रिपोर्ट रखी ही नहीं गई। इससे पहले बैंक घोटाले की जांच भारतीय स्टेट बैंक के तत्कालीन मैनेजर रमेश शर्मा के द्वारा की गई थी उन्होंने बैंक प्रारंभ करने के लिए मात्र 10 करोड़ की राशि की आवश्यकता जताई थी  परंतु यह राशि सरकार ने प्रदान नही कर बैंक को बंद करने का निर्णय लिया।

बैंक घोटाले के जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई ,बैंक से धोखाधड़ी कर फर्जी एफडीआर के सहारे लोन लेने वाली फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई ,इनके संरक्षण कतार्ओं के खिलाफ कार्रवाई के मामले में खातेदारों के संघर्ष के बावजूद शून्य ही हासिल हुआ। बैंक को डुबाने वाले सहकारिता के कुछ अफसरों और सफेदपोश लोगों को बचाने के लिए बैंक को बंद करने का निर्णय लिया गया। बैंक के खातेदारों की राशि वापसी का एकमात्र जरिया खातेदारों के खातों का इंश्योरेंस ही था ,इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से प्रत्येक खातों में जमा राशि 01 से लेकर अधिकतम एक लाख तक का भुगतान हुआ जिसके माध्यम से लगभग 20 हजार खातेदारों को जमा राशि वापस मिली पर अभी भी लगभग दो हजार खातेदारों के ?14 करोड़ बाकी है। इस जमा राशि की वापसी की उम्मीद न्यायालय के आदेश के बाद एक बार पुन: खातेदारों में जागी है।

इंदिरा बैंक संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से बैंक घोटाले की जांच की समय सीमा निर्धारित करने आदेशित करने की मांग करते हुए कहा कि बैंक में जमा राशि का सबसे बड़ा हिस्सा फर्जी कंपनियों मे ऋण के माध्यम से गया है ,इन कंपनियों ने बैंक को सबसे ज्यादा चपत लगाई है, कंपनियों के संचालकों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। फर्जी कंपनियां बनाकर राशि आहरण करने वाले इस मामले की जांच सीबीआई – ईडी के द्वारा भी की जानी चाहिए ताकि बैंक के खातेदारों की जमा राशि की वापसी सुनिश्चित हो सके और बैंक घोटाले का प्रत्येक आरोपी दंडित हो सके। नारको टेस्ट की रिपोर्ट चौंकाने वाली है ,इस रिपोर्ट की जांच का कार्य निर्धारित समय में किया जाना चाहिए।

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button