मध्यप्रदेश के 28वें चीफ जस्टिस बने जस्टिस कैत, जामिया हिंसा, सीएए जैसे मामलों के लिए जाने जाते हैं
जबलपुर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 28वें मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत ने 25 सितंबर को सुबह 11 बजे राज भवन में शपथ ली। इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने अपना दौरा रद्द कर भोपाल लौटने का निर्णय लिया था।
शनिवार को कानून मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जस्टिस सुरेश कुमार कैत को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का 28वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है और उनका कार्यकाल 6 महीने का होगा।
नए चीफ जस्टिस का 6 माह का होगा कार्यकाल
जस्टिस सुरेश कुमार कैत को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 17 सितंबर को एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद के लिए अनुशंसित किया था। उनका कार्यकाल छह महीने का होगा। इससे पहले जस्टिस कैत दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज रह चुके हैं, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में न्यायिक सेवाएं दीं।
24 मई से खाली था मुख्य न्यायाधीश का पद
जस्टिस कैत जो इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज रह चुके हैं। इनका नाम सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 17 सितंबर को अनुशंसित किया था। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद 24 मई से खाली था, जब जस्टिस रवि मलिमठ सेवानिवृत्त हुए थे।
इसके बाद, इस पद के लिए जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव सचदेवा को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। इससे पहले, जुलाई में कॉलेजियम ने जस्टिस जीएस संधूवालिया का नाम इस पद के लिए अनुशंसा की थी, लेकिन बाद में इसे संशोधित करके जस्टिस सुरेश कुमार कैत को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
जस्टिस रवि मलिमठ के सेवानिवृत्त होने के बाद से खाली था पद
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद 24 मई से खाली था, जब जस्टिस रवि मलिमठ सेवानिवृत्त हुए थे। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद, जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव सचदेवा को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। जुलाई में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पहले जस्टिस जीएस संधूवालिया को इस पद के लिए अनुशंसित किया था, लेकिन बाद में इस निर्णय को संशोधित करते हुए जस्टिस सुरेश कुमार कैत को नियुक्त किया गया।
शपथ ग्रहण के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को मिलेगा
यह शपथ ग्रहण समारोह मध्य प्रदेश की न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। जस्टिस सुरेश कुमार कैत का अनुभव और उनके द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दिए गए उल्लेखनीय फैसलों से उम्मीद की जा रही है कि वे एमपी हाईकोर्ट में अपनी न्यायिक विशेषज्ञता का प्रभावी ढंग से उपयोग करेंगे।
जस्टिस कैत की नियुक्ति से उम्मीद की जा रही है कि वे अपनी कुशलता और अनुभव से हाईकोर्ट में लंबित मामलों के निपटारे में तेजी लाएंगे और न्यायिक सुधारों को और मजबूती देंगे। उनकी प्राथमिकता रही है कि न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और कुशलता हो, ताकि आम नागरिकों को समय पर और निष्पक्ष न्याय मिल सके। उनके नेतृत्व में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायिक प्रक्रियाओं को और अधिक सुगम और सुलभ बनाया जाएगा।
दिल्ली से शुरू हुआ कानूनी सफर
जस्टिस सुरेश कुमार कैत का कानूनी सफर दिल्ली से शुरू हुआ। मूलतः हरियाणा के निवासी जस्टिस कैत ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की और 1989 में वकालत शुरू की। उन्होंने भारतीय रेलवे, यूपीएससी सहित विभिन्न मामलों में महत्वपूर्ण केस लड़े।
2008 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया गया और 2013 में उन्हें स्थायी जज के पद पर पदोन्नत किया गया।
यहां हुआ चीफ जस्टिस सुरेश कुमार का जन्म
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार का जन्म 24 मई 1963 को हरियाणा के कैथल के काकौत गांव में हुआ था। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। ग्रेजुएशन के दौरान, वे एनएसएस में यूनिट लीडर के रूप में चुने गए।
सुरेश कुमार ने 1989 में वकील के रूप में पंजीकरण कराया और 2004 में केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किए गए। उन्हें 2008 में दिल्ली हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया गया और 2013 में प्रमोशन पाकर वे स्थायी जज बने।
यूपीएससी और रेलवे के पैनल वकील रहे हैं
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 28वें चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत हरियाणा के कैथल जिले के रहने वाले हैं। उनका जन्म 24 मई 1963 को कैथल के काकौत गांव में हुआ था। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। ग्रेजुएशन के दौरान वे एनएसएस में यूनिट लीडर के रूप में चुने गए थे। छात्र संघ के संयुक्त सचिव भी रहे।
1989 में उन्होंने वकील के तौर पर पंजीकृत कराया था। उन्हें वर्ष 2004 में केंद्र सरकार के स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया। वे यूपीएससी और रेलवे के पैनल वकील रह चुके हैं। 2008 में दिल्ली हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज के तौर पर नियुक्ति के बाद 2013 में प्रमोशन पाकर परमानेंट जज बने।
जस्टिस सुरेश कुमार कैत दिल्ली के जामिया हिंसा और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई कर चुके हैं। फैसलों में उनके निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण की सराहना की जाती है।