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जुलाई 2023 अब तक का सबसे गर्म महीना, 2024 होगा और भी भयावह…वैज्ञानिकों की चेतावनी

नईदिल्ली

वैज्ञानिकों के एक नए विश्लेषण के अनुसार, इस साल का जुलाई महीना रिकॉर्ड के अनुसार अब तक का सबसे गर्म महीना होने वाला है जिसका औसत तापमान जुलाई 2019 की तुलना में काफी अधिक है।

यूरोपीय संघ द्वारा वित्तपोषित कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने गौर किया कि तापमान में वृद्धि उत्तरी अमेरिका, एशिया और यूरोप के बड़े हिस्सों में भीषण गर्मी के कारण हुयी है। इससे कनाडा और यूनान सहित कई देशों में दावानल के साथ ही लोगों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्थाओं पर भी खासा प्रभाव पड़ा है। वहीं वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर ऐसा ही रहा तो 2024 में स्थिति और भी भयावह हो सकती है। जर्मनी के लिपजिक विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के कई जगहों पर पड़ रहे भीषण गर्मी का धरातल और और सेटेलाइट से लिए गए आंकड़ों का अध्ययन किया है।

आंकड़ों के अनुसार पिछला सबसे गर्म महीना जुलाई 2019 था।

एक नए विश्लेषण के अनुसार, जुलाई 2023 के पहले 23 दिन के दौरान वैश्विक औसत तापमान 16.95 डिग्री सेल्सियस था जो जुलाई 2019 के पूरे महीने के लिए दर्ज 16.63 डिग्री से काफी अधिक है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्तर पर, यह लगभग निश्चित है कि जुलाई 2023 का मासिक औसत तापमान जुलाई 2019 से काफी अधिक हो जाएगा, जिससे यह रिकॉर्ड के अनुसार सबसे गर्म जुलाई और सबसे गर्म महीना बन जाएगा।

डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटेरी तालास ने एक बयान में कहा कि जुलाई में जिस प्रतिकूल मौसम ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है, वह दुर्भाग्य से जलवायु परिवर्तन की कठोर वास्तविकता और भविष्य के लिए एक संकेत है।

उन्होंने कहा कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती पहले से कहीं अधिक आवश्यक है और जलवायु संबंधी कार्रवाई कोई विलासिता नहीं, बल्कि जरूरत है।

डब्ल्यूएमओ ने कहा कि छह जुलाई को दैनिक औसत तापमान अगस्त 2016 के उच्चतम स्तर को पार कर गया जिससे यह रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दिन बन गया। पांच जुलाई और सात जुलाई उससे कुछ ही पीछे थे।

लाखों लोग हुए प्रभावित

यूरोपीय संघ द्वारा वित्तपोषित कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (c3s) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने गौर किया कि तापमान में वृद्धि उत्तरी अमेरिका, एशिया और यूरोप के बड़े हिस्सों में भीषण गर्मी के कारण हुई है। इससे कनाडा और यूनान सहित कई देशों में दावानल के साथ ही लोगों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्थाओं पर भी खासा प्रभाव पड़ा है। WMO के महासचिव पेटेरी तालास ने एक बयान में कहा कि जुलाई में जिस प्रतिकूल मौसम ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है, वह दुर्भाग्य से जलवायु परिवर्तन की कठोर वास्तविकता और भविष्य के लिए एक संकेत है।

उन्होंने कहा कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती पहले से कहीं अधिक आवश्यक है और जलवायु संबंधी कार्रवाई कोई विलासिता नहीं, बल्कि जरूरत है। WMO ने कहा कि 6 जुलाई को दैनिक औसत तापमान अगस्त 2016 के उच्चतम स्तर को पार कर गया जिससे यह रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दिन बन गया। 5 जुलाई और सात जुलाई उससे कुछ ही पीछे थे।

Pradesh 24 News
       
   

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