Uncategorized

एनडीए से गया में जीतन राम मांझी करेंगे नामांकन, पिछली बार महागठबंधन में रहकर हार गए थे

गया.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा अटका हुआ है। दूसरी तरफ, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की 40 सीटों के बंटवारे के बाद अब पहले चरण के चुनाव के लिए प्रत्याशी के नाम अंतिम तौर पर सामने आने लगे हैं। शुरुआत भूतपूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से हुई है। गया (आरक्षित) सीट पर उनके नाम की घोषणा उनकी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर ने की। यही इकलौती सीट हम-से को मिली है। पिछले चुनाव में मांझी यहीं से प्रत्याशी थे, हार गए थे।

महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में उन्होंने यहां से किस्मत आजमायी थी, लेकिन 2019 के चुनाव में यहां से जनता दल यूनाईटेड के प्रत्याशी विजय कुमार ने करारी शिकस्त दी थी। जीतन राम मांझी बिहार में मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह दलित समुदाय से आते हैं। बिहार की छह सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जिनमें गया भी है। गया में पहले चरण के तहत लोकसभा चुनाव होना है। 20 मार्च को पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। बिहार की इस सीट पर 28 मार्च तक नामांकन दाखिल होना है और नाम वापसी दो अप्रैल तक संभव है। पहले दिन किसी ने नामांकन दाखिल नहीं किया। अब पिछले चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटें जीतने वाले एनडीए के प्रत्याशी के रूप में जीतन राम मांझी नामांकन दाखिल करेंगे।

गया में बड़े अंतर से जीते थे विजय कुमार
2019 के लोकसभा चुनाव में भी यहां पहले चरण में ही मतदान हुआ था। इस बार 19 अप्रैल को मतदान है। पिछली बार यहां से जनता दल यूनाईटेड के प्रत्याशी विजय कुमार ने 48.77 प्रतिशत वोट हासिल किया था, जबकि महागठबंधन की ओर से हम-से प्रत्याशी जीतन राम मांझी यहां 32.85 फीसदी वोट ही हासिल कर सके थे। एनडीए में तब जनता दल यूनाईटेड, भारतीय जनता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी की ताकत थी। एनडीए की ओर से जदयू प्रत्याशी विजय कुमार को 4.67 लाख वोट मिले थे। महागठबंधन में मौजूदा ताकत के अलावा हम-से और उपेंद्र कुशवाहा की तत्कालीन पार्टी भी थी। इस बार मांझी और कुशवाहा इस तरफ हैं। मांझी को पिछले चुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में 3.14 लाख वोट मिले थे।

बहुजन समाज पार्टी से ज्यादा नोटा को
अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट होने के नाते यहां कुमारी मायावती की बहुजन समाज पार्टी का भी यहां से प्रत्याशी देना लगभग तय माना जाता है। इस बार भी उम्मीद है। पिछली बार यहां से बहुजन समाज पार्टी ने दिलीप कुमार को प्रत्याशी बनाया था। बसपा प्रत्याशी को 13 हजार वोटों से संतोष करना पड़ा। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां उससे ज्यादा नोटा के नाम पर 30 हजार पड़े थे। मतलब, यह संख्या उन लोगों की थी, जिन्हें कोई प्रत्याशी पसंद नहीं आया। दो प्रत्याशियों को दो से ढाई प्रतिशत तक वोट आया था।

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button