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झारखंड विधानसभा प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक पास, जानें प्रावधान और विपक्ष को आपत्ति

रांची

झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा (भर्ती, अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2023 दो संशोधनों के साथ झारखंड विधानसभा से पास हो गया। विपक्ष के जोरदार हंगामे, विधेयक के कई बिन्दुओं पर विरोध और सदन के बहिष्कार के बीच विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। सदन में मुख्य विपक्षी दल भाजपा विधायकों ने विधेयक की प्रति फाड़कर उड़ाई और सरकार के बिल का विरोध किया। भाजपा विधायकों ने इसे काला कानून बताया। विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के छह विधायकों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया।

विधायकों के संशोधन प्रयासों को स्वीकार किया
विधायक प्रदीप यादव के संशोधन सुझावों को स्वीकार करते हुए विधेयक में सजा के प्रावधानों में संशोधन किया गया। नकल करते हुए पहली बार पकड़े जाने पर 3 साल की सजा को कम कर 1 वर्ष किया गया। वहीं नकल करते हुए दूसरी बार पकड़े जाने पर 7 वर्ष की सजा को 3 वर्ष किया गया। पर्चा लीक करनेवाले जेल भेजे जाएंगे। विधेयक को प्रवर समिति को भेजने के 6 विधायकों के प्रस्ताव खारिज हो गये। विधायक विनोद कुमार सिंह ने भी कई संशोधन प्रस्ताव रखे। सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष के साथी सदन में गंभीर दिख रहे हैं। विधेयक पर सरकार की मंशा का भी बुरा नहीं मान रहे, लेकिन विधेयक को काला कानून बोल रहे हैं।

विधेयक के प्रावधान

● नकल करते हुए पहली बार पकड़े जाने पर तीन साल की जगह एक वर्ष की सज़ा, जुर्माना पांच लाख

● नकल करते हुए दूसरी बार पकड़े जाने पर सात वर्ष की जगह तीन वर्ष की सज़ा, जुर्माना 10 लाख

● व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा संचालन के लिए अनुंबधित या प्रबंध तंत्र से षड़यंत्र करने पर 10 साल सजा, 10 करोड़ का जुर्माना

● परीक्षा के बाद प्रश्न पत्र लूटने, चोरी करने या ओएमआर शीट नष्ट करने पर 10 साल सजा, दो करोड़ रुपए जुर्माना।

संगठित अपराध में परीक्षा प्राधिकरण के साथ षड़यंत्र करने पर दस साल सजा, 10 करोड़ रुपए जुर्माना

-परीक्षा के बाद प्रश्न पत्र लूटने, चोरी करने या ओएमआर शीट नष्ट करने पर 10 साल सजा, दो करोड़ जुर्माना

मुख्यमंत्री ने विधेयक के औचित्य पर क्या कहा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा ने राज्य में 20 साल तक नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। विधेयक के औचित्य पर सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह विधेयक छात्रों के हित में है। बिल को अन्य राज्यों ने भी अपनाया है। इसे हड़बड़ी में नहीं बनाया गया है। चिंतन और मंथन कर बनाया गया है। सरकार नौजवानों के भविष्य को सुरक्षित करने का संकल्प ले रही है। हमें मजबूती के साथ आगे बढ़ना चाहिए और पारदर्शिता से हर परीक्षा आयोजित करनी चाहिए, ताकि राज्य के नौजवानों का भविष्य बेहतर हो सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक छात्र कदाचार करता है तो लाखों नौजवान प्रभावित होते हैं। जहां भी जिस स्तर पर कदाचार होगा, कार्रवाई होगी। कदाचार-प्रश्नपत्र लीक किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विपक्ष के साथ-साथ सत्तापक्ष के साथी विधेयक पर जो भय और डर के सवाल खड़े कर रहे हैं, यही सोच सरकार की भी है। इस विधेयक का भय और डर संस्थाओं पर भी हो और छात्रों पर भी हो जो प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होते हैं। एक-दो और तीन-चार ही नहीं पांच-छह गिरफ्तार होंगे, और अगर पूरे क्लास में इस तरह से हो रहा है तो यह गड़बड़ बात होगी। एक के चक्कर में लाखों छात्र क्यों संकट झेलें।

 

Pradesh 24 News
       
   

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