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बजरंगबली के झंडे के साथ मैदान में उतरी थीं झांसी वाली रानी, जानें अनसुनी कहानी

मेरठ.

 क्या आपने किसी झंडे पर बजरंगबली हनुमान जी की तस्वीर देखी है? क्या किसी झंडे पर आपने कमल और चपाती बना हुआ देखा है? शायद ही आपने ऐसे झंडे देखे होंगे. आज हम आपको इऩ झंडों के बारे में विस्तार से बताएंगे. सबसे पहले हम आपको हनुमान जी वाले झंडे के बारे में बताते हैं. खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी. जी हां! रानी लक्ष्मीबाई के साम्राज्य वाले झंडे पर विराजमान रहते थे हनुमान. रानी लक्ष्मीबाई जब युद्ध के मैदान में अंग्रेज़ों से मोर्चा ले रहीं थीं. तो उनके झंडे पर बजरंगबली की तस्वीर थी. मेरठ के राजकीय संग्रहालय में रानी लक्ष्मीबाई का यही झंडा आज भी यहां शोभायमान हैं. जो भी हनुमान जी वाले झंडे को देखता है वो आश्चर्य में पड़ जाता है.

1857 की क्रांति के गवाह झंडे भी हुआ करते थे. रानी लक्ष्मीबाई जिस झंडे का उपयोग करती थीं उसमें हनुमान जी का चित्र अंकित है. आज भी ये झंडे मेरठ के राजकीय संग्रहालय में देखे जा सकते हैं. मेरठ के राजकीय संग्रहालय में अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति की अनमोल झरोखा है. यहां क्रांतिवीरों के कमल रोटी वाले झंडे से लेकर अंग्रेजों से गदर करने वाले पच्चासी सैनिकों की एक से बढ़कर एक कहानियां दस्तावेजों के साथ उपलब्ध है. अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति का हर पन्ना यहां आपको मिलेगा. स्वराज स्वाभिमान संघर्ष जैसी गैलरीज़ में क्रांतिवीरों की यादों को सहेज कर रखा गया है.

यही नहीं इसी स्थल पर मेरठ के शहीद स्मारक में आज भी उन पच्चासी सैनिकों के नाम अंकित हैं जिन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था. इन पच्चासी सैनिकों के नाम शिलापट पर देखकर गर्व की अनुभूति होती है. 10 मई 1857 को ही मेरठ से आजादी के पहले आंदोलन की शुरूआत हुई थी, जो बाद में पूरे देश में फैल गई. 85 सैनिकों के विद्रोह से जो चिंगारी निकली वह धीरे-धीरे ज्वाला बन गई. क्रांति की तैयारी सालों से की जा रही थी. नाना साहब, अजीमुल्ला, रानी झांसी, तांत्या टोपे, कुंवर जगजीत सिंह, मौलवी अहमद उल्ला शाह और बहादुर शाह जफर जैसे नेता क्रांति की भूमिका तैयार करने में अपने-अपने स्तर से लगे थे.

गाय और मांस की चर्बी लगा कारतूस चलाने से मना करने पर 85 सैनिकों ने जो विद्रोह किया. उनके कोर्ट मार्शल के बाद क्रांतिकारियों ने उग्र रूप अख्तियार किया था. वीर शहीदों की याद में यहां अमर जवान ज्योति भी हर समय जलती रहती है. जो भी यहां आता है वो अमर जवान ज्योति को प्रणाम करता है. वीर शहीदों को नमन करता है. मेरठ में आज भी वो कुआं मौजूद है जहां क्रांतिवीर पानी पिया करते थे.

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