SCO समिट में जयशंकर बोले- टेरर फंडिंग को रोका जाए
पणजी
भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने शुक्रवार को पणजी में विदेश मंत्रियों की SCO परिषद की बैठक को संबोधित किया. SCO समिट में एस जयशंकर ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया. उन्होंने पाकिस्तान, चीन समेत सभी SCO सदस्य देशों के सामने साफ कर दिया कि भारत सीमा पार से आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा, हम सबको मिलकर आतंकवाद से लड़ना होगा. आतंकवाद को अभी भी हराया नहीं जा सका. आतंकवाद से मुकाबला हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है.
क्या कहा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने?
– ''एससीओ अध्यक्ष के रूप में हमने एससीओ ऑब्जर्वर और संवाद भागीदारों को 14 से अधिक सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित करके उनके साथ एक अभूतपूर्व जुड़ाव शुरू किया है.''
''आतंकवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है. हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं हो सकता है. इसे सीमा पार आतंकवाद समेत इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में रोका जाना चाहिए. आतंकवाद का मुकाबला करना SCO के मूल जनादेशों में से एक है.''
– इससे पहले विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने पणजी में विदेश मंत्रियों की SCO परिषद की बैठक के लिए रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों का स्वागत किया.
चीन- रूस से भारत की द्विपक्षीय वार्ता
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी एससीओ के इतर गोवा में चीन के विदेश मंत्री चिन गांग और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. भारत की ओर से साफ किया जा चुका है कि SCO समिट के इतर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी. वहीं, पाकिस्तान की ओर से भी कहा गया है कि बिलावल भुट्टों की यात्रा के दौरान भारत के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता नहीं करेंगे. हालांकि, SCO के इतर बिलावल भुट्टों चीन और रूस के विदेश मंत्री के साथ बैठक कर सकते हैं. बिलावल गोवा में भारतीय मीडिया के सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं. माना जा रहा है कि वे इस दौरान चीन राग अलाप सकते हैं.
12 साल बाद भारत दौरे पर पाक विदेश मंत्री
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए गोवा पहुंचे हैं.पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की 12 साल में यह पहली यात्रा है. इससे पहले हिना रब्बानी जुलाई 2011 में शांतिवार्ता के लिए भारत दौरे पर आई थीं. अपनी यात्रा से पहले बिलावल भुट्टो ने एक वीडियो जारी किया. इसमें उन्होंने कहा था कि मेरा भारत जाना यह पैगाम देता है कि पाकिस्तान एससीओ को कितनी अहमियत देता है.
भारत ने भेजा था न्योता
भारत ने प्रोटोकॉल के तहत एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों को समिट में शामिल होने के लिए न्योता भेजा था. इन देशों में पाकिस्तान और चीन भी शामिल हैं. वैसे पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बिलावल नहीं आएंगे, हालांकि उन्होंने समिट में शामिल होने का फैसला किया है. बिलावल जरदारी भुट्टो ने दिसंबर में न्यू यॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम मोदी पर विवादित टिप्पणी की थी.
क्या है एससीओ?
SCO की स्थापना 15 जून 2001 में की गई थी. इसकी स्थापना सदस्य देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने के मकसद से की गई थी. संगठन के सदस्यों में रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. एससीओ की बैठक हर साल आयोजित की जाती है. फिलहाल भारत एससीओ का अध्यक्ष है.
बुरे दौर में भारत और पाकिस्तान के रिश्ते
बिलावल भुट्टो की ये भारत यात्रा ऐसे वक्त पर हुई, जब दोनों देशों के बीच रिश्ते अपने सबसे बुरे दौर में चल रहे हैं. कई सालों से भारत और पाकिस्तान के नेताओं ने एक दूसरे देश की यात्रा भी नहीं की. इससे पहले 2014 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल हुए थे.
इसके बाद 2015 में पीएम मोदी नवाज शरीफ की नातिन मेहरुन्निसा की शादी में पाकिस्तान पहुंचे थे. इस दिन नवाज शरीफ का जन्मदिन भी था. पीएम ने अचानक पाकिस्तान पहुंचकर उन्हें बधाई दी थी. पीएम मोदी के इस दौरे को लेकर पाकिस्तान की दिवंगत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो ने उनका स्वागत किया था. उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, 'नरेंद्र मोदी पाकिस्तान में आपका स्वागत. विवादित मुद्दों को सुलझाने का एक मात्र जरिया है लगातार एक-दूसरे से जुड़े रहना.
हालांकि, 2019 में पुलवामा हमले के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़ते चले गए. इसके बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक और फिर जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद दोनों देशों के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच गए.