‘इस्लाम धर्म यहां सुरक्षित है’, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने की एकता की अपील
नागपुर
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू-मुस्लिम एकता की बात कही है। गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि बाहर से आए समुदाय हमारे अपने हैं। उन्होंने 'विवाद के बजाए संवाद' का रास्ता अपनाने की अपील की है। संघ प्रमुख ने कहा, 'अलग दिखते हैं, इसलिए अलग हैं, यह भाव न रहता तो देश नहीं टूटता।' नागपुर में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के कार्यक्रम में भागवत ने कहा, 'कुछ संप्रदाय बाहर से आए। उनको लाने वाले जो बाहर से थे, उनके शाथ हमारी लड़ाइयां हुईं, लेकिन वो बाहर वाले तो चले गए, सब अंदर वाले हैं। तो उन बाहर वालों का संबंध भुलाकर इस देश में रहना और अभी भी वहां के प्रभाव में यहां जो लोग हैं। हमें यह समझना होगा कि वो हमारे अपने हैं, यह समझ कर उनके साथ व्यवहार करना। अगर उनके सोचने में कोई कमी है, तो उनका योग्य प्रबोधन करना, हम सबकी जिम्मेवारी है।'
उन्होंने कहा, '… पूर्व के अहंकार और बोझ के कारण हम एकजुट होने से डरते थे। हमें लगता था कि अगर हम मातृभूमि की पूजा में खुद को लगा देंगे, तो हम हमारी पहचान खो देंगे। कौन अलग पहचान चाहता है? कोई अलग-अलग पहचान नहीं है। भारत के अंदर हमारी अपनी अलग पहचान सुरक्षित है। बाहर अगर आप इस देश की पहचान से अलग चलते हैं, तो आपको सुखी जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा।' उन्होंने कहा, '…हमारी विविधता में विभाजन नहीं, बल्कि एकता है।'
संघ प्रमुख ने कहा कि पहले जब स्पेन से मंगोलिया तक इस्लाम फैल रहा था, तो पूरी दुनिया हमलों का सामना कर रही थी। उन्होंने कहा, 'धीरे-धीरे लोग जागे हुए और आक्रमण करने वालों को हराया। इससे इस्लाम उनके इलाके तक सीमित रहा…। अब आक्रमणकारी जा चुके हैं और यहां इस्लाम बहुत सुरक्षित है। यह यहां सदियों से शांतिपूर्ण तरीके से है।' उन्होंने कहा, 'हमारी प्रार्थना के तरीके अलग हो सकते हैं, लेकिन हम इस देश के हैं। हमारे पूर्वज इस देश के थे। हम यह सच्चाई स्वीकार क्यों नहीं कर पा रहे हैं।'
भागवत ने कहा कि भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी के दौरान सभी देशों में से सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि भारत को इस साल जी-20 की अध्यक्षता मिली और 'इस गौरव को महसूस किया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि हमारे समाज में धर्म और पंथ से जुड़े कई विवाद हैं। उन्होंने कहा, 'हम सीमा पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत नहीं दिखा रहे हैं बल्कि हम आपस में लड़ रहे हैं। हम भूल रहे हैं कि हमारा देश एक है।'