रायपुर
चुनाव में नाम घोषित हो जाना ही काफी नहीं है जब तक नामांकन के साथ पार्टी की ओर से अधिकृत तौर पर बी फार्म उपलब्ध न हो जाए। जीत-हार, गुटबाजी, नफा-नुकसान का आकलन टिकट मिलने के बाद भी होते रहता है,कुछ यही स्थिति बन रही है दो विधानसभा सीट पर हैं जहां से दोनों अलग-अलग पार्टी से हैं और पार्टी को रिपोर्ट भी मिल चुकी है कि उनके प्रत्याशी कमजोर पड़ रहे हैं और हार भी सकते इसलिए बदले जाने के संकेत मिल रहे हैं।
पहली सीट धमतरी की है कांग्रेस ने जहां ओंकार साहू को प्रत्याशी बनाया है,वहां पूर्व पराजित प्रत्याशी गुरुमुख सिंह होरा की सबसे मजबूत दावेदारी थी,लेकिन संगठन से जुड़े एक ओहदेदार नेता के दबाव में होरा की जगह साहू को उतार दिया गया, कांग्रेसी ही मान रहे हैं कि वह कमजोर पड़ रहे हैं। होरा निर्दलीय उतरने वाले भी थे लेकिन दिल्ली से फोन आने पर उन्होने अपना इरादा बदल दिया। बताया जा रहा है कि महंत व सिंहदेव अभी भी दबाव बनाये हुए है कि होरा को मैदान में उतारा जाए।
वहीं दूसरी ओर बेमेतरा से भाजपा प्रत्याशी दीपेश साहू का नाम आश्चर्यजनक माना जा रहा है,दरअसल हाल में शामिल योगेश तिवारी का नाम जीत योग्य चेहरा था लेकिन पार्टी के पूर्व विधायक व बेमेतरा के एक ब्राम्हण नेता ने दबाव बनाया कि योगेश की जगह किसी को भी टिकट दे दें चलेगा पर योगेश नहीं। दीपेश के बारे में कहा जा रहा है कि वे कमजोर साबित होंगे । भाजपा के रणनीतिकारों ने बात ऊपर तक पहुंचा दी है। अब इंतजार कर सकते हैं इन दोनों सीटों पर कि संभावना क्या बनती है?