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‘सतत विकास लक्ष्य’ की दिशा में भारत की यात्रा प्रतिबद्धता, कौशल का प्रेरक उदाहरण है: राजदूत कंबोज

न्यूयॉर्क
संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत ने कहा है कि भारत की अध्यक्षता में जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन में सतत विकास लक्ष्य को ''आगे और केंद्र'' में रखा गया और उसके क्रियान्वयन में तेजी लाने की देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया। राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि सतत विकास लक्ष्य की दिशा में भारत की यात्रा ''प्रतिबद्धता और कौशल का प्रेरक उदाहरण'' है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र से इतर 'इंडिया राउंडटेबल : डिलिवरिंग डेवलपमेंट : जर्नीज, डाइरेक्शंस एंड लाइटहाउसेज़' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य के क्रियान्वयन में तेजी लाने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता बेहद स्पष्ट है।

कंबोज ने कहा, ''सतत विकास लक्ष्य की दिशा में भारत की यात्रा प्रतिबद्धता और कौशल का प्रेरक उदाहरण है। हम चुनौतीपूर्ण पथ पर अग्रसर हैं। आइए, हम सितंबर 2023 में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में की गई प्रतिबद्धता से शक्ति हासिल करें। यहीं पर हमारे सामूहिक संकल्प की फिर से पुष्टि होती है और सतत विकास लक्ष्य के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए हमारा संकल्प स्पष्ट है।''

कार्यक्रम का आयोजन 'ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन' (ओआरएफ) ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन, संयुक्त राष्ट्र भारत और रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से किया था।

अपने संबोधन में कंबोज ने इन चिंताओं को रेखांकित किया कि सतत विकास लक्ष्य प्रगति रिपोर्ट यह दर्शाती है कि सतत विकास लक्ष्य का केवल 12 प्रतिशत ही पटरी पर है, 50 प्रतिशत पर प्रगति कमजोर और अपर्याप्त है और ''सबसे बुरी स्थिति यह है कि दुनिया 30 प्रतिशत से अधिक सतत विकास लक्ष्य पर या तो रुक गई है या उससे पलट गई है।''

कंबोज ने कहा कि चार साल पहले की तुलना में, अत्यंत गरीबी में गुजर-बसर कर रहे लोगों की संख्या आज अत्यधिक है, सभी देशों में से सिर्फ 30 प्रतिशत लोग ही 2030 तक गरीबी मुक्त होने के सतत विकास लक्ष्य एक को प्राप्त कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि गरीबी मुक्त होने के सतत विकास लक्ष्य एक पर भारत का प्रदर्शन उसके संकल्प का प्रमाण है। उन्होंने कहा, ''भारत इस लक्ष्य की दिशा में प्रतिबद्ध बना हुआ है। हम 2030 से काफी पहले बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा करने की राह पर हैं।''

कंबोज ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन ने इस 'कार्रवाई के दशक' में तात्कालिकता को रेखांकित करते हुए सतत विकास लक्ष्य को आगे और केंद्र में रखा है।

ओआरएफ के अध्यक्ष समीर सरन ने कहा कि ग्लोबल साउथ आज कई मायनों में ''दुनिया के लिए नियम बनाने के वास्ते कारकों के एक नए समूह के नए आग्रह और नए दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।''

'ग्लोबल साउथ' शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

बाद में ओआरएफ द्वारा आयोजित एक मंत्रिस्तरीय कार्यक्रम 'साउथ राइजिंग: पार्टनरशिप्स, इंस्टीट्यूशन्स एंड आइडियाज' में सरन ने कहा कि 2023 में भारत में जी20 शिखर सम्मेलन के जरिए ''एक नयी संस्था पैदा हो रही है जो वैश्वीकरण से लाभान्वित हुए एक अरब लोगों की आड़ में छिप चुके उन सात अरब लोगों की सेवा करेगी।'' इस कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भाग लिया था।

भारत में संयुक्त राष्ट्र रेजिडेंट समन्वयक शोंबी शार्प ने कहा, ''यह संकट का समय है, यह युद्ध का समय है। यह दुनिया की अक्षमता है कि वह एक साथ नहीं आ पा रही और यह सब त्रिस्तरीय संकट – जैव विविधता की क्षति, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में हो रहा है।''

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की जी20 शिखर सम्मेलन के लिए हालिया भारत यात्रा के दौरान की गई टिप्पणी को भी उद्धृत किया कि भारत वह देश है जो सतत विकास लक्ष्यों को हकीकत में बदल सकता है।

 

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