तंजानिया में ड्रैगन पर कसेगी नकेल रवाना हुए सेना प्रमुख, चीन की चाल फेल करेगा भारत
डोडोमा
अफ्रीकी महाद्वीप के तहत आने वाले तंजानिया में चीन ने किस कदर मजबूती से अपने पैर जमा लिए हैं, यह बात सबको मालूम है। उसकी गहरी रणनीतिक पैठ को कमजोर करने के मकसद से भारत पिछले कुछ सालों में यहां पर तेजी से सक्रिय हुआ है। तंजानिया में भारत की सैन्य पहुंच जारी रखते हुए भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे चार दिनों की यात्रा के लिए रवाना हुए हैं। जनरल पांडे दो से पांच अक्टूबर तक अपनी यात्रा के दौरान तंजानिया के रक्षा मंत्री और रक्षा बलों के प्रमुख सहित अन्य लोगों के साथ द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और जुड़ाव को बढ़ावा देने के उपायों पर चर्चा करेंगे।
तंजानिया में डिफेंस एक्सपो
आर्मी चीफ दार एस सलाम में नेशनल डिफेंस कॉलेज को संबोधित करेंगे। साथ ही डुलुटी में कमांड और स्टाफ कॉलेज के कमांडेंट और फैकल्टी के साथ भी खास चर्चा करने वाले हैं। इसके अलावा भारत-तंजानिया मिनी डिफेंस-एक्सपो का दूसरा संस्करण जनरल पांडे की यात्रा के साथ दार एस सलाम में भी आयोजित होने वाला है। हाल के कुछ महीनों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नाइजीरिया का दौरा किया है तो जनरल पांडे मिस्र जा चुके हैं। वहीं, भारत कुछ अफ्रीकी देशों को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम का निर्यात करने के बारे में भी सोच रहा है।
जयशंकर भी पहुंचे थे जंजीबार
जुलाई के महीने में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी तंजानिया के छोटे से टापू देश जंजीबार गए थे। पूर्वी मध्य अफ्रीका से इस टापू दूरी करीब 35 किलोमीटर है। साथ ही यह हिंद महासागर पर काफी रणनीतिक अहमियत रखने वाला हिस्सा है। पिछले साल नवंबर में तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहु हसन ने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के साथ एक 'व्यापक रणनीतिक सहकारी साझेदारी' का ऐलान किया था। बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर में ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में साइन हुई इस घोषणा ने अफ्रीका में चीन के सबसे करीबी भागीदारों में से एक के रूप में तंजानिया की स्थिति की जानकारी भी दुनिया को दी।
तंजानिया में चीन का भारी निवेश
सुलुहू को जो रेड-कारपेट ट्रीटमेंट मिला था, वह उनकी सरकार की तरफ से तंजानिया में मेगाप्रोजेक्ट्स में चीनी निवेश के ऐलान के बाद था। इस निवेश के तहत चीन 1.3 अरब डॉलर की कीमत वाला जूलियस न्येरे हाइड्रोपावर स्टेशन और बागामोयो में 10 बिलियन डॉलर का बंदरगाह शामिल था। पिछले साल के समझौते की घोषणा के साथ ही दोनों देशों के बीच जटिल और अक्सर टूट-फूट वाले रिश्ते भी सामने आए।
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों देशों के बीच साझेदारी अभी तक स्पष्ट नहीं है। तंजानिया में चीन की मौजूदगी ऐतिहासिक रूप से उन संबंधों पर निर्भर रही है जो यहां के एलीट क्लास के साथ बने हैं। लेकिन इनके संबंधों में पिछले कुछ सालों में ऐसी गतिशीलता देखने को मिली है जो पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्र की व्यापक भू-राजनीति में अचानक बदलाव को बताती है। इस घटनाक्रम को विशेषज्ञों ने काफी संवेदनशील करार दिया था।
क्या है अफ्रीका की अहमियत
अफ्रीका दुनिया की वह जगह है जहां पर दुनिया का 40 फीसदी सोना और 90 प्रतिशत तक क्रोमियम और प्लैटिनम मौजूद है। प्लैटिनम को व्हाइट गोल्ड भी कहते हैं। इसके अलावा दुनिया में कोबाल्ट, हीरे और यूरेनियम का सबसे बड़ा भंडार अफ्रीका में है। सोने और हीरे की खदानों के लिए अफ्रीका पूरी दुनिया में मशहूर है। चीन अब दुनिया में मिनरल्स की तलाश में लग गया है। चीन में तांबा, जस्ता, निकिल और कई और मिनरल्स की सप्लाई पूरी नहीं हो पा रही है। चीनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी प्रमुख खनिजों की सप्लाई में अफ्रीका बड़ी भूमिका अदा कर रहा है।