INDIA पर भारी पड़ सकते हैं भारत और सनातन धर्म के मुद्दे, वार-पलटवार जारी
नई दिल्ली
पहले सनातन धर्म और अब भारत के मुद्दे पर हो रही राजनीति का असर आगामी पांच राज्यों के चुनाव पर पड़ सकता है। भाजपा और विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेताओं के बयानों और आरोप-प्रत्यारोपों से राजनीति गरमाई हुई है। संसद के विशेष सत्र में भी इन मुद्दों की गूंज सुनाई पड़ सकती है। भाजपा ने विपक्षी नेताओं के बयानों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस पर करारा हमला किया है।
जी20 बैठक के दौरान राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले भोज के निमंत्रण पत्र में प्रेसीडेंट ऑफ भारत का जिक्र होने के बाद विपक्ष के तमाम दलों एवं उनके नेताओं ने भाजपा और केंद्र सरकार को घेरा है। भाजपा ने भी इस पर पलटवार कर विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स पर अपने बयान में कहा है कि कांग्रेस को देश के सम्मान एवं गौरव से जुड़े हर विषय से इतनी आपत्ति क्यों है? भारत जोड़ों के नाम पर राजनीतिक यात्रा करने वालों को भारत माता की जय के उद्घोष से नफरत क्यों है? स्पष्ट है कि कांग्रेस के मन में न देश के प्रति सम्मान है, न संविधान के प्रति और न ही संवैधानिक संस्थाओं के प्रति। उसे तो बस एक विशेष परिवार के गुणगान से मतलब है। कांग्रेस की देश विरोधी एवं संविधान विरोधी मंशा को पूरा देश भली-भांति जानता है।
इसके पहले द्रमुक नेता उदयनिधि मारन ने सनातन धर्म को लेकर टिप्पणी कर राजनीतिक हंगामा खड़ा किया था, जिस पर अभी तक देश में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ये दोनों मुद्दे राजनीतिक रूप से भी काफी अहम हैं। ऐसे में आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव तक यह राजनीति को गरमाए रख सकते हैं। इससे विपक्ष की राजनीति भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि वह सत्ता विरोधी माहौल बनाने के लिए जनता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, लेकिन अगर उसने इन मुद्दों पर जोर दिया तो उसकी महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की मूल रणनीति पीछे छूट सकती है।
विपक्षी एकजुटता में सेंध लगाने की कोशिश
दूसरी तरफ, भाजपा की कोशिश विपक्षी एकजुटता में सेंध लगाने की है। भारत और सनातन धर्म के मुद्दे ऐसे हैं, जिन पर विपक्ष सरकार और भाजपा को घेर तो सकता है, लेकिन यह दांव उलटा भी पड़ सकता है। धार्मिक और राष्ट्रीय मुद्दे होने के कारण ये बेहद संवेदनशील हैं। चुनाव से पहले संसद का विशेष सत्र दो सप्ताह बाद होना है। ऐसे में इस सत्र में भी सरकार और विपक्ष इन पर टकरा सकते हैं।