हाइपर-थायरॉइडिज्म के चलते बढ़ती-घटती दिल की धड़कनें
भारत में हर 10 में से एक शख़्स थायरॉइड की समस्या से जूझ रहा है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में 4.2 करोड़ थायरॉइड के मरीज हैं। थायरॉइड के साथ सबसे बड़ी दिक़्कत ये है कि करीब एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं होता कि वे इससे पीड़ित हैं। वैसे यह बीमारी महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है।
गर्भावस्था और डिलिवरी के पहले तीन महीनों के दौरान, करीब 44 फीसदी महिलाओं में थायरॉइड की समस्या पनप जाती है। थायरॉइड को समझने के लिए हमने आंध्र प्रदेश के गुंटूर की मशहूर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. बेल्लम भरणी से बात की। थायरॉइड गर्दन के पास तितली के आकार की एक ग्रंथि (ग्लैंड) होती है। यह ग्रंथि दिल, दिमाग और शरीर के दूसरे अंगों को सही तरीके से चलाने वाले हॉर्मोन पैदा करती है। यह शरीर को ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम बनाती है और उसे गर्म रखती है। एक तरह से यह ग्रंथि शरीर की बैटरी की तरह काम करती है। अगर यह ग्रंथि कम या ज्यादा हॉर्मोन छोड़ती है, तो थायरॉइड के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
कितनी तरह का होता है थायरॉइड
थायरॉइड ग्रंथि जब शरीर के लिए पर्याप्त हार्मोन पैदा नहीं कर पाती, तो इसे ‘हाइपो-थायरॉइडिज्म’ कहा जाता है। यह उस खिलौने जैसा मामला है, जिसकी बैटरी खत्म हो गई हो। ऐसे में शरीर पहले जैसा सक्रिय नहीं रहता और इसके रोगी जल्दी थक जाते हैं। इसमें थायरॉइड ग्रंथि से ट्राई आयोडीन थायरोक्सिन यानी टी3 और थायरॉक्सिन यानी टी4 हार्मोन निकलने कम हो जाते हैं। ऐसे में टीएसएच यानी थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन बढ़ जाता है। अगर यह ग्रंथि ज्यादा हार्मोन पैदा करने लगे, तो इस समस्या को ‘हाइपर-थायरॉइडिज्म’ कहते हैं। ऐसे में मरीजों की दशा उस इंसान जैसी होती है, जिसने बहुत ज्यादा कैफीन ले लिया हो। तीसरी स्थिति थायरॉइड ग्रंथि की सूजन है, जिसे गॉयटर कहते हैं। दवाओं से ठीक न होने पर इसे सर्जरी करके ठीक करने की जरूरत पड़ सकती है।
हाइपो-थॉयरायड के लक्षण: वजन बढ़ना, चेहरे, पैरों में सूजन, कमजोरी, आलस होना, भूख न लगना, बहुत नींद आना, बहुत ठंड लगना, महिलाओं के मामले में माहवारी चक्र का बदल जाना, बालों का झड़ना, गर्भधारण में समस्या आदि।
हाइपर-थायरॉइड के लक्षण: इसमें जरूरत से ज्यादा हार्मोन निकलता है, इसलिए भूख लगने और पर्याप्त भोजन करने के बाद भी वजन घटने लगता है और दस्त होती है।