भोपालमध्यप्रदेश

हकीकत : स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपए केवल नवाचार में ही फूंके गए

भोपाल

स्मार्ट सिटी के नाम पर बड़ा ढिंढोरा पीटा जा रहा है। कुछ मामलों में  राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी मिले हैं। लेकिन हकीकत में जमीन पर ज्यादा कुछ नजर नहीं आ रहा है। कई प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं। करोड़ों रुपए केवल नवाचार में ही फूंके गए।

शहर को स्मार्ट बनाने के दावे स्मार्ट सिटी कंपनी के खोखले साबित हुए हैं। एक हजार करोड़ खर्च करने के बाद भी शहर स्मार्ट नहीं बन पाया है। कंपनी गवर्नमेंट हाउस फेस 1 और फेस 2 के काम पूरे नहीं कर पाई है। इसके अलावा कंपनी को सॉलिट वेस्ट मैंनेजमेंट , जलप्रदाय लाइन में एस्काडा सिस्टम अन्य कई प्रोजेक्ट के शेष काम पूरे करने हैं। इन सभी कामों के लिए कंपनी को  2 हजार करोड़ जुटाने थे, लेकिन स्मार्ट सिटी कंपनी इसमें भी नाकाम रही।

कंपनी ने तो प्लॉट बेच पाई न प्रोजेक्ट्स पूरे कर पाई है। इसके मद्देनजर अब सरकार ने भी स्मार्ट सिटी कंपनी की तरफ ध्यान देना बंद कर दिया। शायद शासन के अफसरों को यह समझ आ गया कि स्मार्ट सिटी में पैसा लगना व्यर्थ है।

छह साल से चल रहे काम
भोपाल में छह साल से अधिक समय से स्मार्ट सिटी का काम चल रहा है। एक हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किया जा चुका है, फिर भी शहर में कोई बड़ा बदलाव देखेन को नहीं मिला। टीटी नगर में 342 एकड़ क्षेत्र में स्मार्ट सिटी विकसित की जा रही है। इसके अलावा पूरे शहर के लिए भी कुछ प्रोजेक्ट किए जा रहे हैं। कई प्रोजेक्ट तीन से चार साल से चल रहे हैं। तय समय सीमा खत्म हो चुकी है।

गवर्नमेंट हाउस फेस 1 और 2 का काम अधूरे
टीटी नगर में गवर्नमेंट हाउस फेस 1 और फेस 2 के काम स्मार्ट सिटी कंपनी तक अब पूरे नहीं कर पाई है। कंपनी के पास फंड नहीं है, लेकिन दिखावे के लिए यहां छुट-पुट काम चल रहा है। फेस 1 और फेस 2 के काम करने के लिए कंपनी को बड़ी रकम की जरूरत है। कंपनी फंड के अभाव में कुछ नहीं कर पा रही है।  

जल्द पूरे होंगे काम
स्मार्ट सिटीअधिकांश सभी प्रोजेक्ट के काम पूरे कर चुके हैं। जिन प्रोजेक्ट्स के काम बेचे हुए उन्हें जल्द ही पूरा किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया चल रही है।
नितिन दवे, पीआरओ, स्मार्ट सिटी

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