प्रदेश में अब रेत का अवैध परिवहन नहीं होगा आसान, चैकिंग सिस्टम होगा हाईटेक
भोपाल
राजधानी सहित प्रदेश में अब रेत का अवैध परिवहन आसान नहीं होगा। इसके लिए चैकिंग सिस्टम को हाईटेक बनाया जा रहा है। शहरों के इंट्री पाइंट पर अत्याधुनिक सेंसर लगाए जाएंगे। इनकी मदद से डंपर-ट्रकों में तय लिमिट से ज्यादा रेत होने पर तुरंत पता चल जाएगा। इसका मैसेज मय वाहन के नंबर के साथ तुरंत कंट्रोल रूम पहुंच जाएगा।
जहां से संबंधित वाहन चालक को चालान भेजा जाएगा। इस सिस्टम का एक और फायदा यह होगा कि मैन्युअली चैकिंग में होने वाली गलती की गुंजाइश खत्म हो जाएगी।
राजधानी में यह सेंसर पाइंट 11 मील के पास बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया है। दरअसल, मध्यप्रदेश में अवैध परिवहन पर रोक लगाने के लिए प्रदेश सरकार यूपी मॉडल अपनाने जा रही है। इसके तहत 44 जिलों के एंट्री पाइंट पर इसमें इलेक्ट्रॉनिक चेक गेट बनाए जा रहे हैं। इस इलेक्ट्रॉनिक गेट के रिकार्ड में वाहन मालिक, खनिज समेत पूरा डेटा रहेगा।
योजना के तहत खनिज का परिवहन करने वाले वाहनों में माइनटैग लगाया जाएगा। खनिज अधिकारी को भी हंड होल्ड एमचेक मशीन प्रोवाइड कराई जाएगी, जिसकी मदद से ओवर लोडिंग करने वाले वाहन चालकों का चालान काटा जाएगा।
ऐसे काम करेगा सेंसर
खनिज का परिवहन कर रहे वाहनों के कैमरे के सामने आते ही सारी जानकारी कंट्रोल रूप में पहुंच जाएगी। तय सीमा से अधिक खनिज परिवहन होने पर वाहन मालिक को चालान पहुंच जाएगा। चालान जमा नहीं करने पर सात दिन में मामला कोर्ट पहुंच जाएगा।
भोपाल में खाली रहती है चौकी
भोपाल की बात करें तो करीब पांच साल पहले 11 मील के पास चौकी बनाई गई थी। इसमें खनिज के साथ ही राजस्व व वन विभाग के कर्मचारियों को भी शामिल किया गया था। कुछ समय तक जांच चली, लेकिन दुर्घटना में एक कर्मचारी की मृत्यु के बाद मामला ठंडा पड़ गया। यहां कभी कभार ही अमला नजर आता है।
खनिज चौकियों पर लग रहे हैं अवैध वसूली के आरोप
खनिज के अवैध परिवहन को रोकने के लिए वर्तमान में जिलों में जो खनिज चौकियां हैं। मौजूद अमला आने वाले वाहनों की जांच करता है। हालांकि खनिज चौकियों में वसूली के आरोप भी लगते रहे हैं। खुद रेत परिवहन करने वाले वाहन मालिकों ने इसे लेकर खनिज मंत्री से शिकायत की थी। यही कारण है कि नई खनिज नीति में इलेक्ट्रॉनिक चेक गेट लगाने की तैयारी की जा रही है।