बोतलबंद पानी की अवैध फैक्ट्री पकड़ी, सिग्नेचर ब्रांड का 36,000 लीटर पानी जब्त फैक्ट्री का लाइसेंस खत्म
गाजियाबाद
गाजियाबाद में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की टीम ने मोरटा इंडस्ट्रियल एरिया में मैसर्स रेड वीनस डिस्टलरी फैक्ट्री पर छापेमारी की। टीम ने यहां अवैध तरीके से बोतलबंद पानी तैयार करने का भंडाफोड़ किया है।
बोतलबंद ड्रिंकिंग वॉटर की पैकिंग सिग्नेचर ब्रांड के नाम से हो रही थी। फैक्ट्री की लाइसेंस अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है। इसके अलावा बोतलों पर पैकेजिंग तारीख भी गलत पाई गई। आज जो पानी पैक हो रहा था, उस पर 16 मई की तारीख लिखी जा रही थी। मौके से करीब 3,600 क्रेट बोतलबंद पानी बरामद हुआ। एक क्रेट में 12 लीटर पानी होता है। इस प्रकार करीब 43,200 लीटर पानी जब्त किया गया है। सुबूत के तौर पर पानी की कुछ बोतलों को सील किया गया है जबकि शेष पानी को वहीं पर सील करते हुए सुरक्षित रख दिया गया है।
भारतीय मानक ब्यूरो के संयुक्त निदेशक विक्रांत ने बताया कि इस कंपनी के पास कोई लाइसेंस नहीं था। ऐसे में ये कैसे भरोसा किया जा सकता है कि कंपनी पानी तैयार करने और पैकेजिंग करने के सारे मानक पूरे कर रही होगी? इसकी पूरी रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में प्रस्तुत की जा रही है। यह कंपनी हर रोज करीब 36 हजार लीटर बोतलबंद पानी तैयार कर रही थी।
यूपी में संभावनाओं की खेती बनीं फल एवं सब्जियां
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फलों एवं सब्जियों की खेती संभावनाओं की खेती बन रही है। 2023 की कृषि वानिकी रिपोर्ट इसकी पुष्टि करता है। रिपोर्ट के अनुसार, फलों एवं सब्जियों की खेती में एक दशक में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 7.2 फीसद से बढ़कर 9.2 हो गई। इसी क्रम में इनसे प्राप्त ग्रास वैल्यू आउटपुट (जीवीओ) 20.6 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 38 हजार करोड़ रुपये हो गया।
दरअसल इसमें यूपी सरकार द्वारा कृषि विविधीकरण एवं बाजार की मांग के अनुरूप खेती करने की अपील, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एवं मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में गुणवत्तापूर्ण पौधों का उत्पादन कर किसानों को न्यूनतम रेट में देना, संरक्षित तापमान एवं नमीं नियंत्रित कर संरक्षित खेती को बढ़ावा एवं मंडियों के आधुनिकरण आदि का महत्वपूर्ण स्थान है।
उल्लेखनीय है कि फल एवं सब्जियां (शाकभाजी) की खेती और इनका प्रसंस्करण संभावनाओं का क्षेत्र है। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही लगातार इनकी खेती को हर संभव प्रोत्साहन दे रही है। करीब साल भर पहले लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद ही सरकार ने अगले पांच साल के लिए इनकी खेती के क्षेत्रफल में विस्तार, उपज में वृद्धि और प्रसंस्करण के बाबत महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी विभाग के सामने रख दिया था। उसी अनुरूप काम भी हो रहा है।
लक्ष्य के मुताबिक, 2027 तक बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 11.6 फीसद से बढ़ाकर 16 फीसद तथा खाद्य प्रसंस्करण छह फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद करने का लक्ष्य है। इसके लिए लगने वाली प्रसंस्करण इकाइयों के लिए बड़े पैमाने पर कच्चे माल के रूप में फलों एवं सब्जियों की जरूरत होगी।
इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुणवत्तापूर्ण प्लांटिंग मैटिरियल (पौध एवं बीज) की है। इसके लिए सरकार ने तय समयावधि में हर जिले में एक्सिलेंस सेंटर, मिनी एक्सिलेंस सेंटर या हाईटेक नर्सरी की स्थापना करेगी। इस बाबत काम भी जारी है। मसलन चंदौली, कौशाम्बी, सहारनपुर, लखनऊ, कुशीनगर और हापुड़ में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस निमार्णाधीन है। इसी तरह बहराइच, अम्बेडकरनगर, मऊ, फतेहपुर, अलीगढ़, रामपुर, और हापुड़ में मिनी सेंटर ऑफ एक्सिलेन्स क्रियाशील हैं। सोनभद्र, मुरादाबाद, आगरा, संतकबीरनगर, महोबा, झांसी,बाराबंकी, लखनऊ, चंदौली, गोंडा, बलरामपुर, बदायूं, फिरोजाबाद, शामली और मीरजापुर में भी मिनी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस/हाईटेक नर्सरी निमार्णाधीन हैं। 2027 तक इस तरह की बुनियादी संरचना हर जिले में होगी।
कृषि के जानकार बताते हैं कि सरकार से मिले प्रोत्साहन एवं इन्ही संभावनाओं के चलते पिछले छह वर्षों में किसानों को प्रोत्साहित कर फलों एवं सब्जियों की खेती के रकबे में 1.01 लाख हेक्टेयर से अधिक और उपज में 0.7 फीसद से अधिक की वृद्धि की गई। किसानों को गुणवत्ता पूर्ण पौध मिले इसके लिए फलों एवं सब्जियों के लिए क्रमश: बस्ती एवं कन्नौज में इंडो इजराइल सेंटर फॉर एक्सिलेंस की स्थापना हुई।
जानकारों की मानें तो नमीं और तापमान नियंत्रित कर बे-मौसम गुणवत्तापूर्ण पौध और सब्जियां उगाने के लिए इंडो इजराइल तकनीक पर ही संरक्षित खेती को बढ़ावा देने का काम भी लगातार जारी है। पिछले पांच वर्षों में फूल एवं सब्जी के उत्पादन के लिए 177 हेक्टेयर में पॉली हाउस/शेडनेट का विस्तार हुआ जिससे 5549 किसान लाभान्वित हुए। योगी-2 में भी यह सिलसिला जारी रहे इसीलिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
डॉ. एसपी सिंह, सब्जी वैज्ञानिक का कहना है कि उत्तर प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने का सबसे प्रभावी जरिया फलों, सब्जियों और मसालों की ही खेती है। नौ तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र होने के नाते अलग-अलग क्षेत्रों में हर तरह के फल, सब्जियां और फूलों की खेती संभव है। इसमें लघु-सीमांत किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इनकी संख्या कुल किसानों की संख्या में करीब 90 फीसद है। अमूमन ये धान, गेंहू या गन्ने आदि की परंपरागत खेती ही करते हैं। अगर सरकार की मंशा के अनुसार इनकी आय बढ़ानी है तो इनको फलों, सब्जियों एवं फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा।