जमीन का इस्तेमाल बदला तो लगेगा नगरीय विकास प्रभार शुल्क, हर 10 साल पर संशोधित मास्टर प्लान जरूरी
यूपी
यूपी के शहरों में भू-उपयोग स्वत: बदलने पर नगरीय विकास प्रभार शुल्क लेने पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही इसमें हर 10 साल पर संशोधित मास्टर प्लान बनाने की अनिवार्यता की जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष गुरुवार को उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम में संशोधन संबंधी प्रस्ताव का प्रस्तुतीकरण हुआ। मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण को इसमें कुछ जरूरी संशोधन का सुझाव दिया है। उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम वर्ष 1973 में तैयार किया गया था। उस वक्त की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसमें प्रावधान किया गया था। मौजूदा समय इसमें बदलाव की जरूरत है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर आवास विभाग ने इसका प्रारूप तैयार किया है। मास्टर प्लान में भू-उपयोग की स्थिति स्पष्ट की जाती है। इसमें पहले से प्रस्तावित भू-उपयोग जरूरत के आधार पर बदल दिए जाते हैं। कुछ का आवासीय से व्यवसायिक और कुछ कृषि से आवासीय या अन्य उच्च उपयोग के हो जाते हैं। भू-उपयोग बदलने पर विकास प्राधिकरणों पर विकास कराने का दबाव बढ़ जाता है, लेकिन इसके एवज में परिवर्तन शुल्क लेने की कोई व्यवस्था नहीं है।
इसीलिए आवास विभाग ने नगरीय विकास प्रभार शुल्क लगाने का प्रावधान इसमें किया है। शहरों की बढ़ती जनसंख्या व भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर पुनरीक्षित मास्टर प्लान में इसका स्पष्ट प्रावधान करने का भी प्रस्ताव है। सुनियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान में प्रस्तावित नए मार्गों, मौजूदा सड़कों के चौड़ीकरण, अन्य अवस्थापना सुविधाओं को बेहतर करने और नई सुविधाएं जैसे ग्रीन बेल्ट आदि का प्रावधान किया जा रहा है। अधिनियम में हर 10 साल पर नए सिरे से मास्टर प्लान बनाने का भी प्रावधान किया जा रहा है।